मुंबई (गोरेगाॅव) : साहित्यिक सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था काव्यसृजन द्वारा गोरेगाँव (पश्चिम)लालबहादुर शास्त्री मैदान, शास्त्री नगर में प्रदीप गावड़ेजी के नेतृत्व में दीपावली स्नेह सम्मेलन व सम्मान समारोह के साथ काव्यसंध्या का भी आयोजन हुआ जिसमेँ काव्य रसिकों ने खूब ठहाके लगाये। उक्त समारोह की अध्यक्षता आदरणीय श्री हौशिला प्रसाद सिंह “अन्वेषी” कर रहे थे, एवं मुख्य अतिथियों में विशेष रुप श्री हरि मृदुल जी व देहरादून से पधारी गीतकारा श्रीमती राजेश कुमारी राज जी कार्यक्रम को सुशोभित कर रही थी। जिनका सम्मान संस्था ने शाल व तुलसी का गमला देकर किया। दोनो विभूतियों ने आधुनिक साहित्य पर अपने प्रखर बिचार भी दिये। इस काव्यमयी शाम को निम्नलिखित कवियों ने काव्य से सराबोर कर दिया है, जिसमें नवकवियों ने तो शमां ही बांध दिया।
मंच संचालन का कार्यभार श्री पं• शिवप्रकाश जौनपुरी जी बेहतरीन तरीके से किया।
कवियों में श्री शिवप्रकाश “जौनपुरी”, एन.बी.सिंह”नादान”, सूर्यकांत शुक्ला, श्री राम शर्मा, दिनेश “बैसवारी”, जवाहर लाल “निर्झर”, मूर्धन्य “पूर्वांचली”, अंजनी कुमार द्विवेदी, हौशिला”अन्वेषी”, धर्मेंद्र कुशवाहा, रमाकान्त ओझा, विनीत शंकर, माधव किशोर चौधरी, सूरज दुबे, अजय शुक्ला “बनारसी”, श्रीधर मिश्र, श्रीनाथ शर्मा, रवि यादव, भारती त्रिपाठी, धनंजय राजकुमार, राजेशकुमारी”राज”, हरीश शर्मा “यमदूत”, चैतन्या कुमारी, अवधेश विश्वकर्मा, हरि”मृदुल”, जाकिर हुसैन “रहबर”, अंशु जैन “झल्लारी”, इंदु भोलानाथ मिश्र, अवधेश विश्वकर्मा, सुमन तिवारी, तरुण गुप्ता, राजीव मिश्र, श्याम अचल प्रियात्मिय आदि की उपस्थिति सराहनीय रही।उपरोक्त कवियों की कुछ रचनाएँ-
श्रीमती राजेश कुमारी (देहरादून)
मुद्दतों बाद खत में मैंने पूछा हाल उसका।
उसने शाखों में फंसे इक चाँद की तस्वीर भेजी ।।
गर है अंजाम मुहब्बत का,कयामत होना।
मुझको मंजूर कयामत से मुहब्बत होना ।।
श्रीमती चैतन्या कुमारी-
हम दूसरों की खुशियों को जलाकर,
हम अपनी खुशियों को मना रहें हैं।
हम सदियों से दुहाई इसी बात की दे रहे,
हम साथ निभा रहें हैं ।।
श्री अजय बनारसी-
कुछ सीखने के लिए,खोना भी जरूरी है ।
उड़ने के पंखों का,होना भी जरूरी है ।
वक़्त लगता है,बीज को पेड़ बनने में,
दिन-रात की मेहनत,पानी देना भी जरूरी है ।।
श्री हौसिला प्रसाद सिंह “अन्वेशी”
दिल्ली में है हो रही,सबके मन की बात ।
फिर कैसे यह हो रही,नफरत की बरसात ।।
श्री शिवप्रकाश जौनपुरी-
दीपावली मनाइये, बीना पटाखा फोड़ ।
वायु और ध्वनि प्रदूषण,नहीं हवा में छोड़ ।।
वातावरण स्वच्छ रखिये,कष्ट न होवे कोय।
दूर रहे बिमारी सब,जीवन सुखमय होय ।।
श्री अंजनी कुमार द्विवेदी-
बनके दीपक यूं ही तुम,जगमगाते रहो।
बस रोशनी इस जहाँ में,तुम लुटाते रहो।
भाग जायेंगे गम,अब तो सदा के लिए,
बस हरदम फूलों सा,तुम मुस्कुराते रहो ।।
श्री राजीव मिश्रा अभिराज-
कई रात लगातार,मैं जलता ही रहा ।
एक तेरी आँखों के,काजल के लिए ।।
श्री श्याम अचल प्रियात्मीय-
ये वक़्त किस तरह,मजबूर करके छोड़ेगा,
जिस्म से रूह को भी,दूर करके छोड़ेगा ।
कुरद देता है जब भी,लगाता है मरहम,
जो मेरे जख्म को,नासूर करके छोड़ेगा ।।
श्री जाकिर हुसैन रहबर-
इन बस्तियों में प्रेम का,नकली लिबास है ।
आओ चलो सहरा में,करें जिंदगी तमाम ।।
श्री श्रीनाथ शर्मा-
रोशनी ने रोशन जग सारा कर दिया,
खुशियों से दिल तो हमारा कर दिया।
शुभकामनायें दिवाली की हम भेज रहे,
प्यार से ही जीना ये इसारा कर दिया ।।
इसी प्रकार हास्य व्यंगकार श्री हरीश शर्मा यमदूत ने लोगों से तालियां खूब बजवाई और लोगों ने खूब ठहाके लगाये। समारोह के अंतिम चरण में अध्यक्ष महोदय ने
अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी रचनाकारों को साधुवाद देते हुए सभी की रचनाओं पर प्रकाश डाला। संस्था के अध्यक्ष रमाकांत ओझा लहरी जी ने अपने पदाधिकारियों श्री अंजनी कुमार दूबे, श्रीधर मिश्र, श्रीनाथ शर्मा, अजय बनारसी, मुर्धन्य पुर्वांचली का डायरी व कलम देकर स्वागत व सम्मान किया। परिवार के राजेश दूबे के बड़े पिताजी व राष्ट्रीय कवि नवीन हुल्लड़ जी को सभी ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की,और अंत में आयोजक प्रदीप गावड़े जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।।