Home जौनपुर जौनपुर के मजगवॉ कला में कवियों की सजी महफ़िल

जौनपुर के मजगवॉ कला में कवियों की सजी महफ़िल

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जौनपुर (उ•प्र•)
राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक व सांस्कृतिक संस्‍था काव्‍यसृजन उत्तर प्रदेश इकाई की मासिक काव्‍यगोष्‍ठी, इकाई के अध्यक्ष विनय अकेला जी के निवास स्थान मजगवॉकला जलालपुर जौनपुर में प्रबंधक श्री अच्‍छेलाल यादव जी की अध्‍यक्षता व विनय अकेला जी के संचालन में सम्‍पन्‍न हुई।आयोजन में मुम्बई से पधारे संस्‍था के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अल्‍लढ़ असरदार जी बतौर मुख्‍य अतिथि उपस्थित होकर और अपनी ओजपूजर्ण रचनायें प्रस्‍तुत कर काव्‍यसंध्‍या में महक बिखेर दी।
कवियों में जनाब हसरत जौनपुरी,घनश्याम मिश्र,लालमणि यादव,डॉ राम समुझ भाष्‍कर, रामजनम शरण,अमित सिन्‍हा,पारस सिंह,अलाउद्दीन साहिब,क्षमा मिश्र,जनार्दन पाण्‍डेय,गुड्‍डू बेगाना आदि कवियों ने अपनी बहुरसीय कविताओं से काव्यसंध्या को काव्‍यमय कर दिया।
अपने अध्‍यक्षीय भाषण में प्रबंधक श्री अच्‍छेलाल यादव जी ने सभी कवियों की भूरि-भूरि प्रसंशा की और संस्‍था के इस पुनीत कार्य के लिये साधुवाद देते हुए शुभकामनाएं दी।मुख्‍य अतिथि श्री असरदार ने संस्‍था के पदाधिकारियों का उत्‍साह बढा़या ।अंत में संस्‍था के महासचिव हसरत जौनपुरी ने सभी का आभार व्यक्त किया। उपस्थित कवियों की कुछ रचनाएँ इस प्रकार रही जो सराहनीय रही-

कविवर विनय कुमार अकेला के दोहों का क्या कहना-

नौकरी पाना ही अकेला,सफलता की नहीं निशानी।
तन मन धन से यशी ,स्वच्छ हो,पास न कोई हानि ग्लानी।।

उससे क्या लाभ,राम कथा सुन माँ बाप को डाँटे।
गर अकेला भरत महिमा पढ़,भाई का ओ डाड़ काटे।।

मतदान हमारा हक है,ए बातें संज्ञान करें।
हर काज गौड़ अकेला, पहले मतदान करें।।

जाना जरूरी,फिर भी अनदेखी किए जा रहें हैं लोग।
जाने अकेला किस चाहत में जिए जा रहें हैं लोग।।

अकेला गिरगिट की तरह रंग बदलतें हैं ए जमाने।
मतलब पडे़ पर अपना,वनाॅ तो सब बेगाने।

आएँ जागें अपनी ताकत की हम पहचान करें।
अकेला बूथ पे जाके सबसे पहले बन्धु मतदान करें।।

पहले अँगूठा दिखाना,मुँह चिढा़ना था एक बिराना ,।
पर अकेला अब अँगूठा संकेत ए कामयाबी है माना ।।

लगभग चलन में बन्द हुए,विज्ञान के सारे प्रेक्टिकल।
गजब अचम्भा, शुरू हुआ इतिहास हिन्दी में प्रेक्टिकल।।

अकेला बूँद बूँद से भरे घडा़,इस बात पर साथी ध्यान करें।
इसीलिए क्रमशः हम एक एक मतदान करें।।

पति के इच्छा के विरुद्ध,जो पत्नी करे काम।
अकेला तब सावधान,हो सकता सती सा अंजाम।।

मुंबई से पधारे राजेश दुबे उर्फ़ अल्हड़ असरदार की रचना बहुत मार्मिक रही-

युग बदला है धरती अंबर आज पुनः है डोल रहा।
नऐ दौर मे लालकिला मर्दानी भाषा बोल रहा।।
अब ना अखबारों मे घोटालों के किस्से आते है।
धन्नासेठ भगोडे़ जो परदेशो मे घबराते है।।
सात समंदर पार हैं पर कब दिन अपने भर जाऐगें।
बिदा कराने ई.डी़. वाले डो़ली लेकर आऐगें।।
जगह नही मिलती है जहाँ पर पहुंच से बाहर हो जाऐ।
भारत की चालों पर सारा विश्व कदम है थिरकाऐं ।।
दुबई मे दाऊदों के जायदाद जब्त हो जाते है।
छिपा रहे थे अब तक जो आतंकी खुद पहुचाते है।।
इतिहास जरा सा क्या बदला, बदला दिखे भूगोल रहा।।
नऐ दौर मे लालकिला मर्दानी भाषा बोल रहा ।।

इसी प्रकार सभी उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और अंत में आयोजक अकेला जी ने आये हुए सभी कवियों पत्रकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और काव्यसंध्या का समापन किया।

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