ठाणे। स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगाँठ पर शहीदों के नाम एक शाम हृदयांगन साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था के नाम द्वारा 15 अगस्त 2019 को सायंकाल 6 बजे भावभीनी कविगोष्ठी, संस्था के संस्थापक अध्यक्ष विधु भूषण गीतकार के निवास स्थान सत्य शंकर रेजीडेन्सी ठाणे में संपन्न हुई।स्वतंत्रता दिवस व रक्षाबंधन के शुभ दिन गोष्ठी रखने के शुभ अवसर पर सभी साहित्यकारों का सम्मान किया गया।
आमंत्रित साहित्यकारों में श्रीमती प्रेमलता (कानपुर), सम्मान मूर्ति आर पी रघुवंशी (अध्यक्ष- भारतीय जनभाषा प्रचार समिति), अरूण प्रकाश मिश्र “अनुरागी”, श्रीमती विजयलक्ष्मी मिश्रा, नागेन्द्रनाथ गुप्ता (परामर्शदाता हृदयांगन), शारदा प्रसाद दुबे, उमेशचन्द्र मिश्रा (महासचिव-हृदयांगन) एवं रसिक श्रोतागण काव्यप्रेमी उपस्थित रहे। श्रीमती सरोज, श्रीमती अंजू त्रिवेदी, श्रीमती मंजू मिश्रा, शुभम मास्टर, लविन, नित्या और अनुष्का आदि मौजूद रहें।
अनुच्छेद 370 काश्मीर, स्वतंत्रता दिवस पर विशेष रचनाओं के साथ ही साथ सुषमा स्वराज जी की याद में रचनायें पढी गयी। दूसरा दौर प्रेमगीत, भक्ति गीत, गजल और गाँव की माटी और परदेश की पीड़ा पर गीत कजरी कम मजेदार नहीं रही अंगवस्त्र और गुलाब के साथ सम्मान मूर्ति सौ0 प्रेमलता जी का और आज की गोष्ठी के अध्यक्ष आर पी सिंह रघुवंशी का सम्मान किया गया। तत्पश्चात सुषमा जी की आत्मा की शान्ति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
आयोजन के प्रेरक और संचालक सुप्रसिद्ध कवि उमेश मिश्रा ने बहुत कुशलता पूर्वक इस गोष्ठी को समाप्त किया। एक घरेलू माहौल में एक उत्कृष्ट काव्य गोष्ठी का हृदयांगन द्वारा आयोजन की सराहना श्री रघुवंशी जी ने की। गोष्ठी में साहित्यकारों द्वारा पढी गयी रचनायें प्रसंसनीय रही।
संचालन करते हुए कवि उमेश मिश्रा ने कश्मीर पर प्रेम गीत सुनाकर सभी के हृदय को गदगद कर दिया-
तन मन सभी का पावन होगा दृश्य बड़ा मनभावन होगा
ऐसा सुंदर कश्मीरियों का जीवन होगा..
तन मन सभी का पावन होगा दृश्य बड़ा मनभावन होगा l
घाटी में जब प्यारा तिरंगा लहराएगा
केसरिया रंग उसका और निखर जाएगा
सुरभित वहां का उपवन होगा दृश्य बड़ा मनभावन होगा
तन मन सभी का पावन होगा दृश्य बड़ा मनभावन होगा
शांति के सारे आयाम हम ढूंढेंगे
ढूंढेंगे इस पार और उस पार भी ढूंढेंगे
सरहद पर शांति प्रदर्शन होगा. दृश्य बड़ा मनभावन होगा
तन मन सभी का पावन होगा दृश्य बड़ा मनभावन होगा
प्रीति की बयार के हम झोंके फैलाएंगे
अखंड भारत में पीओके भी मिलाएंगे
प्रेम का जग में समर्पण होगा. दृश्य बड़ा मनभावन होगा
तन मन सभी का पावन होगा दृश्य बड़ा मनभावन होगा।।
वरिष्ठ कवि नागेन्द्र नाथ गुप्ता ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को याद करते हुए कहा-
थी मददगार वो सबकी, संसद की जैसे धडकन थी।
सुषमा जी अपने कार्यकाल में नेताओं की दर्पण थी।।
गीतकार विधुभूषण त्रिवेदी विधुजी ने सुन्दर रचना से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया-
नींद निगोड़ी उचट गई
जाने कब से मैं जाग रहा ?
याद तुम्हारी वही पुरानी रह रह कर फिर याद कर रहा ।
जान रहे सब योगेश्वर भी
कैसे मैंने रैन बिताई ।
पलके बन्द किये रहता हूँ
फिर भी सावन की बदरी छाई।।
कब तक रोकूंगा यह बदरी
बरसे तो बह जाने दूँ।
दबी हुई जो याद हृदय में
अब बेबस हूँ आ जाने दूँ।।
जो होगा देखा जायेगा
कब तक भार उठाता जाऊँ ?
यादों का मैं लिये पुलिन्दा
मेरे श्याम! कहाँ मैं जाऊँ?
नींद निगोड़ी उचट गई जाने कब से मैं जाग रहा?
याद तुम्हारी वही पुरानी
रह रह कर मैं याद कर रहा ।।
सम्मानित कवि रघुवंशी ने बच्चों के शिक्षा पर बल देते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियोंको याद किया-
शिक्षा ने ही ज्ञान दिया है,
शिक्षा ने विज्ञान दिया है,
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर,
शिक्षा ने सम्मान दिया है।
गांधी-नेहरु-भीमराव को,
शिक्षा ही संस्कार दिया।
भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरू
शिक्षा ने बलिदान किया।
पन्ना धाई ऐन वक्त पर,
बेटे से मुँह मोड़ लिया,
राना के बेटे के खातिर,
अपना बेटा छोड़ दिया।
शिक्षा ही तो मानवता को,
उच्च शिखर पहुँचाती है।
शिक्षा ही गुण-दोषकाअंतर
जीवन में सिखलाती है..।
बिन शिक्षा के जीवन में
बस अंधकार रह जाता है।
जाति-पाँत और भाषा-प्रांत
का बस जुनून छा जाता है।
जीवन में भी हर विकास
बस शिक्षा से संभवहोगा..।
शिक्षा से ही देश का गौरव,
पल-पल में ऊँचा होगा..।
क्रमशः सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से लोगों को आनंदित कर दिया और अंत में संस्था के अध्यक्ष विधुभूषण त्रिवेदी विधुजी ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और गोष्ठी का समापन किया।