Home मुंबई भारतीय जनभाषा प्रचार समिति के तत्वावधान में वृद्धाश्रम में कवियों की सजी...

भारतीय जनभाषा प्रचार समिति के तत्वावधान में वृद्धाश्रम में कवियों की सजी महफ़िल

816
0

ठाणे। भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे के तत्वावधान में 6 मार्च 2019 बुधवार सायं कृष्णकुंज वृद्धाश्रम शुभारंभ काम्प्लैक्स मानपाढ़ा ठाणे (पश्चिम) में वृद्ध माता-पिता के साथ वृद्धाश्रम में कविगोष्ठी का आयोजन हुआ। मंगला हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य श्री टी आर खुराना जी के आयोजन में वृद्धाश्रम के वयोवृद्ध नागरिकों के साथ खूब ठहाके लगे।

कवियों में वरिष्ठ कवि टी आर खुराना,आर पी सिंह रघुवंशी, उमाकांत वर्मा, उमेश मिश्रा, श्रीमती आभा दवे, शारदा प्रसाद दुबे आदि ने सभी के अंतर्गत को गदगद कर दिया।

आर पी रघुवंशी ने सबके उत्साह-बर्धन हेतु प्रत्युत्पन्न एक रचना को सबको समर्पित करते हुए कहते हैं-

कइसन होइ गईल गाँव हमार
कइसन गाँव रहल आपन अब,
कइसन होइ गईल गाँव हमार.. ।
कवन-कवन हम बात बताईं,
गाँव क हाल कहल ना जाय….।

बरगद-पीपर उकठि गइल अब,
उकठि गइल सब देशी आम..।
घर-दुआर त पक्का होइ गइल,
पर दुअरे पर कुकुर देखाय…।

पढ़ल-लिखल जे बढ़ियां मनई,
ऊ तो आइ गइल परदेश…।
बचल-खुचल, अनपढ़-गंवार सब, बूढ़-ठेल रहि गइल बा शेष….।

भूलि गइल बा प्रेम-भाव अब,
भूलि गइल पिछला संस्कार..।
कइसन गाँव रहल आपन…(1)

पहिले गाँव क माटी मंहकै,
गंध बंम्बई तक ले जाय..।
जेके मौका मिलै मुलुक कै,
खुशी से ऊ पागल होइ जाय।

गाँव क ठण्डी गाँव क गर्मी,
बड़े मजे से सब सहि जाय..।
भइया-बाबू, नात-गोत से,
मिलले कै सुख कहि नहिं जाय।

पहिले गाँव से दिल कै रिस्ता,
अब त गाँव भइल बदनाम..।
कइसन गाँव रहल आपन….(2)

कवन-कवन हम बात बताई ,
गाँव क हाल कहल ना जाय..।

घर कै खेती दै अधिया पर,
बात करैं दिल्ली दरबार..।
चौराहे पर चाय-समौसा,
मेहर-लड़िका भाड़ में जायं।

लास फूंकि के दारू पीयैं,
तेरही कै कछु कहि नहिं जाय।
बड़का कक्का छुवैं न पहिले,
वौउ अब पीयैं खूब अघाय…।

चाय के जगह सोमरस पीयैं,
हर गाँवन क इहै बा हाल…।
कइसन गाँव रहल आपन…(3)

कवन-कवन हम बात बताईं,
गाँव क हाल कहल ना जाय..।

पहिले गाँव क मुखिया होवै,
जेकर दस गावन में नांव…।
जे गरीब कै दुखड़ा समझै,
न्याय करै हर ठाँव-कुठाँव..।

घर कै उर्दी झंगरा डारै,
दस मनइन में पूजल जाय।
अब परधानी के चुनाव में,
कट्टा औ बंदूक देखाय…।

कहूँ न बड़कन कै बा इज्ज़त,
नहीं बुजुर्गन कै सत्कार…।
कइसन गाँव रहल आपन….(4)

कवन-कवन हम बात बताईं,
गाँव क हाल कहल ना जाय।

अब परधान बनत बा जेकर,
गुण्डा, बदमाशन में नांव…।
काल क लड़िका परधानी में,
जीत गइल अब देखा ताव…।

गाँव क जी-एस,बंजर जेतना,
बेच खायं नहिं लेइं डेकार..।
जे परधान के करै पलग्गी,
वोकर खैर-कुशल सब बाय,

जे चुनाव में आँख देखाइस,
पांच साल तक खललै बाय।
कइसन गाँव रहल आपन…(5)

बभनउटी कै अजब कहानी,
नहकै ब्राह्मण नाँव कहाय,
एक ओर पत्रा,ठाकुर जी,
करिया थैली रोज रखाय..।

कण्ठी-माला लटकै गर में,
टीका-चंदन लेइं लगाय…।
कर्मकाण्ड आपन पंडित जी,
ओही तरे देवैं निपटाय.।।

कवियत्री आभा दवे हिन्दी भाषा पर प्रकाश डालते हुए कहा-

हिंदी की बिंदी लगती
हम को प्यारी है
हिंदी भाषा सबसे न्यारी है
विश्व तक फैला लिए है हाथ इसने
बन गई सबकी दुलारी है
दिन पर दिन इसका
सम्मान बढ़े
रखनी कोशिश जारी है
शान से लहराये
हिंदी का झंडा
करनी हमें तैयारी है।

कविवर आर पी सिंह रघुवंशी जी ने पुनः दुसरी रचना सुनाते हुए उन्होंने जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा –

मैं बच्चों की मुस्कानों में
माँ बाप के आशीर्वाद में
रसोई घर के पकवानों में
बच्चों की सफलता में हूँ
माँ की निश्छल ममता में हूँ
हर पल तेरे संग रहता हूँ
और अक्सर तुझसे कहता हूँ,
मैं तो हूँ बस एक “अहसास”
बंद कर दे तू मेरी तलाश
जो मिला उसी में कर संतोष
आज को जी ले कल की न सोच
कल के लिए आज को न खोना
मेरे लिए कभी दुखी न होना
मेरे लिए कभी दुखी न होना ।।

टी आर खुराना जी अपनी रचना सुनाते हुए उदबोधन में कहते हैं-

दूर है मंजिल मगर न घबराइये,
उठाइए कदम बढते ही जाइए।
हो बुलंद हौसले तो क्या नहीं मुमकिन,
आस्था विश्वास को न डगमगाइए ।।

कविवर उमेश मिश्रा जी ने वीर शहीदो को नमन करते हुए उन्हें याद किया-

धैर्य शौर्य और साहस ए तीनों करते जिसका वंदन है..
ओ भारत मां का लाल, कोई और नहीं अभिनंदन है…

अंत में आयोजक खुराना जी ने आये हुए सभी कवियों पत्रकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और गोष्ठी का समापन किया।

Leave a Reply