Home भदोही मजिस्ट्रेटी जांच और विवेचना में उलझा पुलिस हिरासत कांड

मजिस्ट्रेटी जांच और विवेचना में उलझा पुलिस हिरासत कांड

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हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी न होने पर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है। आलम यह है कि मजिस्ट्रेटी जांच और विवेचना में पुलिस हिरासत कांड उलझता दिख रहा है। हालांकि आरोपित तत्कालीन कोतवाल सुनील कुमार वर्मा को अन्य जनपद के लिए स्थानांतरित भी कर दिया गया है। गोपीगंज कोतवाली में फूलबाग निवासी रामजी मिश्र की रहस्यमय स्थिति में मौत हो गई थी।

इस मामले में तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा को लाइन हाजिर करते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। बचाव में उतरी तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक की पत्नी एकता वर्मा ने भी थाने में प्रदर्शन कर पति को फंसाने का आरोप लगाई थी। उसका कहना है कि बगैर जांच कराए मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। निष्पक्षता से जांच कराई जानी चाहिए।

कानून- कायदे की बात की जाए तो हत्या जैसे जघन्य अपराध में दर्ज मुकदमा में आरोपित को गिरफ्तारी हो जानी चाहिए लेकिन पुलिस ऐसा करने से पता नहीं क्यों कन्नी काट रही है। अहम सवाल यह है कि कोतवाल के स्थान पर एक सामान्य व्यक्ति होता तो क्या पुलिस जांच के नाम पर उन्हें बाहर छुट्टा घुमने देती। इसका सवाल भी अधिकारियों को पास नहीं है। इस मामले में मजिस्ट्रेटी जांच अपर जिलाधिकारी तो विभागीय जांच अपर पुलिस अधीक्षक कर रहे हैं।

दोनों जांच अधिकारी एक दूसरे के रिपोर्ट के इंतजार में हैं। विवेचक रहे नवीन तिवारी का भी तबादला भदोही कर दिया गया। हालांकि अपर पुलिस अधीक्षक डा. संजय कुमार का कहना है कि विवेचना के लिए दो निरीक्षक लगाए गए थे। एक का स्थानांतरण हो गया है तो दूसरा विवेचक मामले की जांच की जा रहा है। मजिस्ट्रेटी जांच में भी नोटिस आदि जारी कर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।

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