Home खास खबर नहीं रहे राजनीति के पुरोधा ‘अटल’

नहीं रहे राजनीति के पुरोधा ‘अटल’

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atal bihari

अमन सिंह
वाराणसी। राजनीति के शलाका पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार की शाम से वेंटिलेटर पर रखे जाने के बाद ही देश की जनता की धकड़ने तेज हो गई थी। गुरूवार की सुबह से ही पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के स्वस्थ होने की कामना कर रहा था। लेकिन न तो दवा काम आई और न ही दुआ। गुरुवार शाम 5 बजकर 05 मिनट पर एम्स द्वारा जारी विज्ञप्ति में औपचारिक घोषणा कर दी गई कि वह हमारे बीच नहीं है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि लगातार कोशिश करने के बाबजूद भी उनके सेहत में सुधार नहीं हो रहा था।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के निधन की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीन ट्वीट कर शोक प्रकट किया है। उन्होने कहा है कि अटल जी अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही के इस दुख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति!

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर शोक प्रकट करते हुए लिखा है कि अटलजी के निधन से राष्ट्र ने एक मज़बूत नेतृत्वकर्ता और राजनैतिक खो दिया है यह मेरे लिए भी एक बड़ा व्यक्तिगत नुकसान है।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शोक प्रकट करते हुए लिखा है कि मैं बहुत दुखी है और यह भारत के लिए बड़ा नुकसान है।भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्वीट कर शोक जताया है उन्होने लिखा है- अटल जी के विचार, उनकी कविताएं, उनकी दूरदर्शिता और उनकी राजनीतिक कुशलता सदैव हम सबको प्रेरित व मार्गदर्शित करती रहेंगी। भारतीय राजनीति के ऐसे शिखर पुरुष को मैं कोटि-कोटि नमन करता हूँ और ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ। ॐ शांति शांति शांति

विरोधियों के दिलों पर भी राज करने वाले अटल जी के न रहने की खबर पाते ही देश के सभी पार्टियों के नेता दुखी है। उनके विराट स्वाभाव व व्यक्तित्व के कारण समूचा देश बेचैन है। चाहे वह परमाणु परीक्षण की घटना हो या कराची से भारत तक की बस सेवा या फिर देश में लगे इमरजेंसी की घटना सभी उनके ऐतिहासिक कार्यों को याद कर शोक में है। बेहतर लेखक, कवि, वक्ता, पत्रकार और राजनौतिक गुण होने के कारण वह न केवल संसद में बल्कि अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षो से भी मजबूती से पक्ष रखते थे।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी पिछले 9 हफ्तों से दिल्ली एम्स में भर्ती थे। 2009 में उन्हें आघात आया था, जिसके बाद उन्हें लोगों को जानने-पहचानने की समस्याएं होने लगीं। बाद में उन्हें डिमेशिया की दिक्कत हो गयी।
मधुमेह के शिकार 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम करता था। किडनी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, पेशाब आने में दिक्कत और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली (एम्स) में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत 24 घंटों से बेहद नाजुक बनी हुई है। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।

… जब मौत से ठन गई थी अटल की

साल 1988 में जब वाजपेयी किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे तब धर्मवीर भारती को लिखे एक खत में उन्होंने मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को कविता के रूप में सजाया था। आज एक बार फिर याद आ रही यह कविता थी- ‘मौत से ठन गई’…

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।

मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

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