Home साहित्य जनता की है अभिलाषा 

जनता की है अभिलाषा 

1525
0

बिन चहर दिवारी क विद्यालय, जोहत बाटइ राह हो।
क्षेत्र का लड़िके करत बाटेन, मुम्बई क नाम हो।
हे जनता के प्रतिनिधि कर दो, कुछ तो ऐसा काम तुम। जब गगन में बल्ला लहराए तो, दिल बोले मेरी शान हो तुम।

बड़ी खुशी होती है सुनकर, टीम में नाम है उसका भी।
वो प्रतिनिधि मुम्बई का बन गया, हाथ है बड़का तुम्हरा जी।
हाथ है बड़का तुम्हरा जी, क्योंकि कोई नहीं है साधन।
हम भी तो सहभागी हैं, चुनकर साथ तुम्हरा जी।

शुभ-शुभ खेल शुभम का हमरे, जायसवाल है पल-पल दमके।लाल भदोही के दम पर हो, नाम मुम्बई का चमके।
नाम मुम्बई का चमके, कर दो कुछ तुम साहब जी।
गरिमा बढ़े भदोही का भी, जग में गुलाब सा महके।

शिक्षा भी है राह निहारे, यूनिवर्सिटी की आश।
के यन पी जी आगे हो, पुरी हो इच्छा खाश।
पुरी हो इच्छा खाश, स्वास्थ्य भी देखो।
सेवा मिले भदोही में, ना हो कोई निराश।

आने-जाने के साधन पर, कुछ तो दे-दो ध्यान।
उत्तर पश्चिम कोने को, ना रोड़वेज का ज्ञान।
ना रोड़वेज का ज्ञान, सो लूटते वाहन मालिक।
बहुत समस्या क्षेत्र की, ना बनिये अनजान।

ना बनिये अनजान महोदय, ना बनिये अनजान।
आयातित का सिक्का है जो, उस पर धरिये ध्यान।
उस पर धरिये ध्यान, कहीं जनता ना घूमें।
जैसे तैसे जीत गए हैं, कुर्सी फ़िर ना छीनें।

Leave a Reply