Home मुंबई पूर्वांचल की माँ शेरावाली पूर्वांचल चाल में प्रतिष्ठापित एवं विसर्जित

पूर्वांचल की माँ शेरावाली पूर्वांचल चाल में प्रतिष्ठापित एवं विसर्जित

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हमार पूर्वांचल
हमार पूर्वांचल

ठाणे: कलवा
यह एक अतिश्योक्ति ही कहा जाय तो कुछ आश्चर्यजनक बात नहीं होगी कि पूर्वांचल में बसने वाली चौकियां धाम शितला, मां विन्ध्येश्वरी, मां अष्टभुजी, मां चौरामाई, जौनपुर शहर में विद्यमान मैहर की शारदा भवानी का रूप-स्वरूप प्रतिमूर्ति पूर्वांचल के नाम महाराष्ट्र के ठाणे जिल्हा के कलवा शहर के पूर्वांचल चाल में प्रतिष्ठापित होती हैं, तो रहिवासी अपने आपको बहुत गौरवान्वित महसूस करते हैं। पूर्वांचल चाल का नामकरण पूर्वांचल के सपूत स्वर्गीय दीप नारायण श्यामलाल शर्मा ने की थी जो मुंबई महानगर पालिका में प्रशिक्षित शिक्षक थे।

विगत कई वर्षों से जिस प्रकार नौजवानों की टोली इस चाल में माँ को प्रतिस्थापित कर नौ दिन तक पूजन, अर्चन, वंदन करते चले आ रहे हैं ठीक उसी प्रकार इस वर्ष भी सभी ने सामूहिक रूप से इस उत्सव को धूम-धाम से मनाया। नवरात्रि का यह उत्सव 1991 से पूर्वांचल चाल के पूर्व अध्यक्ष श्री कजरू यादव की देखरेख में मनाया जाता था जो 2005 से वर्तमान अध्यक्ष श्री अश्विनी कुमार फूलगेन यादव की देखरेख में अनवरत चल रहा है।

प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी नौ दिन भजन-किर्तन, पूजन-अर्चन-वंदन एवं हवन के पश्चात विसर्जन की शोभा दर्शनीय रही जो शहनाई, ढोल नगाड़े के साथ बच्चों व महिलाओं के नृत्य के साथ मातारानी विसर्जित हुई। संस्था सदस्य कवि श्री ईश्वर मौर्य ने बताया कि पूर्वांचल चाल में हमारे नौजवान साथी कविवर श्री विनय शर्मा “दीप “पुत्र (संस्थापक स्वर्गीय दीपनारायम शर्मा), श्री अरविंद कुमार गुप्ता, श्री सहदेव प्रजापति, श्री संतोष कुमार शर्मा, श्री कमलेश यादव, श्री गुरूकृपाल अरूण शर्मा, श्री राजेन्द्र प्रसाद मौर्य, श्री राजेश शर्मा, गीतकार श्री ब्रिजेश मिश्रा(इंदिरा नगर)आदि के साथ पूर्वांचल चाल के सभी रहीवासियों का सहयोग अतुलनीय रहा।

हमार पूर्वांचल
पूर्वांचल चाल के रहीवासी विसर्जन कार्यक्रम में

पूरे नवरात्रि में संस्था अध्यक्ष श्री अश्विनी कुमार यादव की नित्य आरती सुप्रसिद्ध रही-
आरती होला चऊरवा हो, माई जनक लली की।-2
पहली अरतिया जनकपुर में होला,
राजा जनक के भवनंवाॅ हो ।

दुसरी अरतिया लंका में होला,
राजा विभिषण के भवनंवाॅ हो।

तीसरी अरतिया पूर्वांचल में होला,
भक्तन के भवनंवाॅ हो ।।

इससे यह प्रतीत होता है, कि भगवान श्री राम माता जानकी एवं अनुज लक्ष्मण के वन गमन, सीता हरण एवं रावण वध के पश्चात असत्य पर सत्य की जो विजय हुई है वह सत्य है इसलिए जगत जननी जगदंबा एवं माता सीता की पूजा शारदीय नवरात्रि में मनायी जाती है।

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