सत्यप्रकाश मिश्रा
शिक्षक, कर्मचारियों एवं बच्चो की स्कूल की छुट्टियां समाप्त हुयी एवं शादी विवाह का मौसम भी समाप्ती की तरफ है परंतु उत्तर भारत की तरफ जाने वाली गाडियो मे टिकट की कमी बनी हुयी है।कल्याण स्टेशन पर स्थित आरक्षण केंद्र पर सुबह 4 बजे ही रेल अधिकारी द्वारा नंबर दे दिया जाता है परंतु रोज 1 से 10 तक का नम्बर कूछ पेशेवर चहेते लोग ही पाते है। ये चहेते लोग स्थानीय दबंग है जोकि मार- पीट करने के लिए तैयार रहते है।यह सारी बाते रेल प्रशासन के संज्ञान मे ही होती है।
यह बात कहॉ तक सच है इसका जायजा लेने के लिए मै कल शनिवार की सुबह 3बजे आरक्षण केंद्र पर पहुँच गया । नम्बर देने के लिए दो अधिकारियों सहित एक आर.पी.एफ कांन्स्टेबल की ड्युटी थी।सुबह 4 बजते ही एक अधिकारी महोदय एक नम्बर प्लेटफार्म के मुख्य गेट पर खडे हुये और एक व्यक्ति कुछ फार्म लेकर उनके पास गयाऔर नंबर लेने लगा , यह देखकर मै भी वहाँ पहुंचा परंतु मेरे पहुंचते ही साहब आरक्षण केंद्र की तरफ चल दिये और बाकी बचे लोगों को भी नंबर दिये।वही दुसरे अधिकारी महोदय 4बजकर 35 मिनट पर आयें। स्लीपर को 21 और ए, सी.के 6 नंबर दिये गये।नंबर देने के बाद ये अधिकारी महोदय सामने की चाय की दुकान पर उन्ही पेंशेवर लोगो के साथ चाय पीते नजर आयें।
18वा नंबर मिलनेके बाद मै पुन:10 बजे स्टेशन पहुंचाऔर लाईन मे लगा तभी इन्ही स्थानीय दबंगो ने अनायास 26 वर्षीय किशन कुमार को पीट दिया । थोडी ही देर मे किशन कुमार इन्ही दलालो मे से किसी के द्वारा दसवॉ नंबर भी मिल गया जबकि आर.पी.एफ कांस्टेबल सुरेश कुमार दीक्षित , ए.एम राजपूत, संजय कुमार ड्यूटी पर थे और सारा वाकया इनके सामने हुआ परंतु यहॉ वहाँ बात करके इन लोगों ने मामले को रफा दफा कर दिया और ये दबंग परिसर मे टहलते रहे। दीक्षितजी के पूछ- ताछ के दौरान किशन कुमार जिनको कुशीनगर का टिकट लेना था ने स्वीकार किया था कि वे सुबह आकर नंबर नही लिए थे।इन सारी बातो से स्पष्ट है कि रेल प्रशासन की मदद से टिकटो की कालाबाजारी हो रही है और लोग तिगुने चौगुने दामों पर टिकट लेने को मजबूर है।