भदोही। जिले में आए दिन जमीनी विवाद को लेकर मारपीट, झगडा या खूनी संघर्ष की बाते सुनने को मिलती है। किसी घटना हो जाने के बाद प्रशासन के लोग सक्रिय होते है और आनन फानन कार्यवाही में जुट जाते है लेकिन उसके पहले अपने गति से ही कार्य करते है। चाहे कोई कितनी भी शिकायत देता रहे।
जिले के चकडोटर में हुए गोलीकांड का कारण जमीनी विवाद ही था, गोपीगंज में अभी हाल ही में जमीनी विवाद को लेकर फायरिंग का मामला प्रकाश में आया। जिला मुख्यालय से सटे जोरई में जमीन विवाद के कारण ही एक शख्स ने अपनी बेटी को लेकर आत्महत्या करने पानी की टंकी पर चढ गया। तब पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गये और पुरा प्रशासनिक अमला मामले को संभालता नजर आया लेकिन जिले में और विवादित मामलों पर आखिर प्रशासन और राजस्व विभाग क्यों देर करता है? यही विभाग की देरी जमीनी विवाद का बडा रूप ले लेता है जो कभी कभी किसी बडी घटना के सामने दिखता है।
एक ऐसा ही मामला ज्ञानपुर तहसील के बेरासपुर गांव में है जहां राजस्व विभाग की लापरवाही से विवाद बढता नजर आ रहा है। बेरासपुर निवासी श्रीनाथ तिवारी की 384ख जमीन है। और 384क और 469 के खाताधारक जमीन के नाप के बाबजूद भी श्रीनाथ को अपनी जमीन पर मेडबंदी और कब्जा नही करने दे रहे है। विदित हो कि ज्ञानपुर उपजिलाधिकारी के आदेश के बाद क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक और लेखपाल द्वारा जमीन की नाप की गई थी। नाप के बावज़ूद विपक्षी चिन्हित जमीन के अन्दर ही अपनी जमीन बताकर निर्माण कार्य कर रहे है। जब श्रीनाथ पुलिस को सूचित करते है तो पुलिस आकर काम रोकवा देती है फिर विपक्षी निर्माण कार्य करने लगते है। इसकी शिकायत श्रीनाथ तिवारी ने अधिकारियों को और तहसील दिवस पर भी किया लेकिन राजस्व विभाग के लोग केवल बहाना करके उक्त मामले में देरी कर रहे है जिससे विपक्षी लोग लगातार विवादित स्थल पर निर्माण कार्य कर रहे है, जो विवाद को बढाने में और सहायक हो रहा है। श्रीनाथ ने अपनी जमीन को चिन्हित करके वहां मेडबंदी कराने और कब्जा दिलाने की मांग की है। तहसीलदार ज्ञानपुर ने श्रीनाथ तिवारी के तहसील दिवस पर की गई शिकायत को संज्ञान में लेकर राजस्व निरीक्षक को आदेश किया कि उक्त विवादित जमीन को पुलिस बल को लेकर श्रीनाथ तिवारी की जमीन की मेडबंदी कराकर कब्जा दिलाये लेकिन क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक और लेखपाल इस पर ध्यान नही दे रहे है। और नित नया बहाना बनाकर देर कर रहे है। जैसे किसी घटना का इंतजार कर रहे है। यदि इसी तरह की लापरवाही होती रही तो हो सकता है कि कभी बेरासपुर में भी दोनो पक्ष आमने सामने आकर किसी विवाद को न पैदा कर दे। जिससे प्रशासन और राजस्व विभाग के लोग आकर मामले को सुलझाते नजर आएं। बेरासपुर का मामला तो एक बानगी मात्र है न जाने कितने मामले है जो राजस्व विभाग की लापरवाही से उलझे हुए है। यदि सच में विभाग के लोग सक्रिय हो जाए तो बहुत से मामले सुलझने में देर न हो। और इस तरह के विवादित मामले में कमी आये।