मुंबई : गरीबों के मसीहा एवं सभी के चहेता कहे जाने वाले, सभी के हितैषी, जन-जन की पुकार सुनकर सभी की समस्याओं को हल कर, राजनैतिक सामाजिक जीवन में कुशल एवं सराहनीय कार्य करने हेतु जननायक कहे जाने वाले, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सम्माननीय कर्पूरी ठाकुर के कदमों पर चलकर जन-जन की समस्याओं को सुलझाने, अशिक्षित समाज को शिक्षित बनाने, बिखरे हुए दिशाहीन सामाजिक बंधुओं को एकता के सूत्र में बांधने का वीणा, जोगेश्वरी-मुंबई के प्रखर समाजसेवी एवं सरस्वती माँ के पुजारी, प्रशिक्षित शिक्षक श्री राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर ने उठाया है। सबके चहेते राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर का जन्म मईडीह, मड़ियाहूं जौनपुर में हुआ है। घर की स्थिति ठीक न होने के कारण वे मुंबई आये और अपने पिता श्याम नारायण के पास रहने लगे फिर कुछ करने की ठानी, ठाकुर जी के पिताजी भी मुलुंड-मुंबई में एक समाजसेवी के रूप में प्रख्यात थे। सर्वप्रथम ठाकुर जी ने ऑटोरिक्शा चालक बनकर जीवन यापन करना प्रारंभ किया, फिर उन्होंने शिक्षा की तरफ ध्यान दिया, रिक्शा चलाते हुए भी उन्होंने डी•एड• की शिक्षा हासिल कर ली। उनका परिश्रम सार्थक हुआ और वे अंधेरी में इंग्लिश हाईस्कूल में हिन्दी के शिक्षक बन गये। उन्होंने बताया कि इस सफलता के पीछे उनके बडे भाई श्री जनार्दन प्रसाद ठाकुर का बहुत बड़ा सहयोग रहा है, जिसे राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर कभी नहीं भूले। उनके मन में, समाज के बिखरे, पिछड़े, अशिक्षित बच्चों की तरफ गया और उन्होंने बीड़ा उठाया कि जन-जन के बीच हम जायेंगे, सभी की समस्याओं के निराकरण का मार्ग तलाश कर समस्याओं को दूर करेंगे, और बिखरे हुए लोगों को सही मार्गदर्शन देकर एक मिसाल कायम करेंगे। जिससे देश में रहने वाले उपेक्षित, अशिक्षित, बेरोजगार, असहाय समाज में रहने वाले सभी लोग शिक्षित होकर समाज का काया पलट करेगे।
माननीय ठाकुर जी ने बताया कि 2016 में कुछ लोगों को इकट्ठा कर परामर्श लिया और जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम से सामाजिक संगठन का नामकरण कर “जननायक कर्पूरी ठाकुर सेवा समिति”का गठन कर डाला। अब हर मुमकिन समाज को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास की दिशा-दशा बदलने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि आज महाराष्ट्र सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य-प्रदेश एवं गुजरात जैसे प्रदेशों में भी जननायक कर्पूरी ठाकुर सेवा समिति का गठन हो चुका है, और अभी बाकी प्रदेशों में गठन करना शेष है, जो वे प्रयासरत हैं। उनका स्वप्न है जननायक कर्पूरी ठाकुर के जैसा ही भविष्य में एक मिसाल कायम हो जो आज एक लंबा कारंवा का रूप ले चुका है।