डॉ गिरिजा शंकर त्रिवेदी साहित्य सम्मान से ह्रदयेश मयंक सम्मानित
हिंदी सेवा में बाबूराव पराडकर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता!
-प्रभाकर पवार
राजेश विक्रांत हरफनमौला कलमकार हैं।
-प्रेम शुक्ल
साहित्य व पत्रकारिता में समर्पित हैं राजेश विक्रांत
-अभिजीत राणे
मुंबई: हिंदी सेवा में बाबूराव पराडकर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता! वे सच्चे अर्थों में हिंदी पत्रकारिता के भीष्म पितामह थे। महाराष्ट्र की धरती के सपूत पराड़कर ने काशी में हिंदी का झंडा बुलंद किया। ठीक उसी प्रकार जैसे मुंबई में राजेश विक्रांत, जिज्ञासा पटेल, निधि गौतम, सागर त्रिपाठी, ह्रदयेश मयंक आदि हिंदी को बढ़ा रहे हैं। यह उद्गार दैनिक सामना के सहायक संपादक प्रभाकर पवार ने राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक विकलांग की पुकार परिवार द्वारा सांताक्रुज पूर्व के मौलाना आजाद सभागृह में राजेश विक्रांत के लेखन, पत्रकारिता व साहित्य के 30 साल पर आयोजित एक विशिष्ट कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में व्यक्त किए। मंच पर वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व विकलांग की पुकार के संरक्षक प्रेम शुक्ल, पत्रकारिता कोश के संपादक आफताब आलम और साहित्य प्रेमी शिवजी सिंह भी मौजूद रहे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शुक्ल ने कहा कि मैं दोपहर का सामना की शुरुआत यानी 23 फरवरी 1993 से राजेश विक्रांत से परिचित हूँ। वे हरफनमौला कलमकार हैं। किसी भी विषय पर लिखने में माहिर। रिश्ते बनाने के विशेषज्ञ। व्यंग्य भी बहुत बढ़िया लिखते हैं। इनका कॉलम बतरस काफी चर्चित रहा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुंबई मित्र वृत मित्र के समूह संपादक अभिजीत राणे ने कहा कि साहित्य व पत्रकारिता में समर्पित हैं राजेश विक्रांत। वे मेरे पिता तुल्य हैं। मेरा उनका 15 साल का संबन्ध है। वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र ने राजेश विक्रांत की 13 वीं पुस्तक कोरोना- डाउन के प्रति आशीर्वाद दिया।
इस कार्यक्रम में आशीर्वाद के निदेशक डा उमाकांत बाजपेयी, प्रख्यात शायर डॉ सागर त्रिपाठी, कवि डा रजनीकांत मिश्र, एनडीटीवी के सुनील सिंह, पत्रकार विकास संघ के अध्यक्ष आनंद मिश्र, पत्रकार संतोषी गुलाबकली मिश्र, मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी, समाजसेवी जितेंद्र सिंह जीतू, महबूब खान व डॉ नीलेश कोयन्डे का सम्मान किया गया और सुविख्यात कवि तथा चिंतन दिशा के संपादक ह्रदयेश मयंक को द्वितीय “डॉ गिरिजा शंकर त्रिवेदी साहित्य सम्मान” प्रदान किया गया। कार्यक्रम में भारत पब्लिकेशन, मुंबई द्वारा प्रकाशित आलेख संग्रह ‘कोरोना-डाउन’- राजेश विक्रांत, उपन्यास ‘एलओसी- लव अपोज क्राइम’- जिज्ञासा पटेल व कविता संग्रह ‘इंकड बाई सौल’- निधि गौतम का विमोचन भी सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन कवि तथा दोपहर का सामना के मुख्य उप संपादक अभय मिश्र ने किया व आभार प्रदर्शन डॉ अनंत श्रीमाली द्वारा किया गया। विकलांग की पुकार के कार्यकारी संपादक सरताज मेहदी के नेतृत्व में संपन्न इस कार्यक्रम में वरिष्ठ गजलकार हस्तीमल हस्ती, हरियश राय,
वरिष्ठ पत्रकार सैयद सलमान, हमारा महानगर के भानु प्रकाश मिश्र, श्री महाराष्ट्र रामलीला मंडल के महासचिव सुरेश डी मिश्र, आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली, मुंबई भाजपा प्रवक्ता उदय प्रताप सिंह, कवि डा मुकेश गौतम, एड अशोक मिश्र, एड रिद्धि मिश्रा, ऐबाद अंसारी, राधेश्याम निर्मल, संजय सिंह, एड. जी. एस. तिवारी, योगाचार्य ज्ञानेंद्र पांडेय, के के त्रिपाठी, अनुपम मिश्र, आस्था मिश्रा, एड प्रीति पांडेय, पत्रकार अजय सिंह, समाजसेवी मंगेश कनौजिया, समाजसेवक राम चरित्र कनौजिया, एंकर नीता बाजपेयी, कथाकार संगीता बाजपेयी, कवयित्री संगीता तिवारी ‘आसमा’, नताशा गिरि शिखा, संगीता पांडेय, हिंदुस्तानी, जाकिर हुसैन रहबर, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, डा भालचंद्र तिवारी, अमित कुमार, पंकज जोबनपुत्रा, राजकुमार कोरी, पत्रकार धर्मेंद्र पांडेय, निमेश जोबनपुत्रा, तस्लीम खान, नूर हसन, कवि रवि यादव आदि का विशेष योगदान रहा। समापन नन्हीं कलाकार ओस संतोषी मिश्रा मराठे के बांसुरी पर राष्ट्रगान से हुआ।