भदोही। समाज में यदि भाइयों के प्रेम की चर्चा होती है तो लोग राम और भरत के भातृत्व प्रेम का उदाहरण देते है। लेकिन कलयुग में आज ऐसे भी भाई है जो अपने स्वार्थ और लाभ के चक्कर में भाइयों से प्रेम नही बल्कि दुश्मनी करने से नही चुकते है। और भाई-भाई का ही खून का प्यासा हो जाता है। हालांकि देश में न जाने कितने उदाहरण भरे पडे है। लेकिन भदोही जिले के बेरासपुर में एक ऐसा भाई है। जो अपने ही सगे भाई को पागल घोषित करके खाने-पीने व रहने की व्यवस्था नही दे रहा है। बल्कि वह बेचारा अपने चाचा, बडे पिता व गांव के लोगो द्वारा दी गई भोजन सामग्री पर निर्भर है। और उस अभागे का भाई उसको देखने भी नही आता कि वह किस स्थिति में है?
मालूम हो कि बेरासपुर निवासी राजपति निषाद के तीन लडके थे। जिसमें एक लडके की बहुत पहले मृत्यु हो गई थी। बचे दो लडको में सुरेश और राजकुमार है। सुरेश का परिवार है। जबकि राजकुमार मंदबुद्धि है। कभी-कभार उसका दिमागी संतुलन बिगड जाता है। राजकुमार की शादी नही हुई है। और वह एक बेघर की तरह गांव में ही अपनी झोपडी बनाकर या मंदिर पर रहता है। लोग राजकुमार को खाने को कुछ दे देते है तो ले लेता है। राजकुमार के बडे पिता और चाचा उसको खाने पीने के लिए दे देते है। लेकिन सगा भाई सुरेश, राजकुमार की सुध लेना उचित नही समझता है।
मालूम हो कि मूसलाधार हुई बारिश या कडाके की ठंढ में भी राजकुमार अपने झोपडी में या मंदिर पर रहता है। लेकिन भाई को कोई फर्क नही पडता। हद तो तब हो गई कि इधर कुछ दिनों से राजकुमार के पैरो में दर्द था जिससे वह चल नही पा रहा था। उसके चाचा और बडे पिता के घर के लोग देखने आये व डाक्टर बुलाकर इलाज की व्यवस्था किये। लेकिन सगा भाई सुरेश, राजकुमार को देखने तक न आया। अब यहां सवाल पैदा होता है कि सुरेश अपने पूरे परिवार का खर्च वहन कर रहा है, लेकिन एक भाई के साथ ऐसा बर्ताव करना कितना सही है?
जिस जगह पर सुरेश रह रहा है उस पर राजकुमार का भी हक है लेकिन अपने सीधा पन व मंदबुद्धि के कारण दर-दर की ठोकर खाने पर विवश है राजकुमार। जो अपने भाई के कारण एक पागल की तरह रह रहा है। यदि इसी तरह सुरेश के लडके का दिमाग हो जाये तो क्या यूं ही छोड देगा राजकुमार की तरह? राजकुमार की दयनीय दशा देखकर लोग परेशान है लेकिन कुछ कर नही सकते है। इस तरह के निर्दयी भाई से तो भाई का न होना बेहतर है। जो मानवता को तार-तार कर रहा है।