Home अवर्गीकृत रक्षाबंधन- श्रीमती आभा दवे

रक्षाबंधन- श्रीमती आभा दवे

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मधु ने सुबह उठते ही रितु से कहा -“जरा अपना हाथ तो दिखाना मेहंदी कैसी रची है?” रितु ने फौरन अपना हाथ मधु को दिखाते हुए कहा- “देखो दीदी, मेरी मेहंदी कितनी अच्छी रची है ।” मधु ने रितु के हाथों को चूम लिया। चौदह वर्षीय रितु अपने से तीन वर्ष बड़ी मधु के गले प्यार से लग गई। माँ के आते ही मधु और रितु दोनों ने एक साथ कहा- “हाँ, हम लोगों को पता है कि आज रक्षाबंधन है और हमें बस थोड़ी देर में तैयार होना है, तीनों साथ में खिलखिला कर हँस पड़ी।
थाली को राखी कुमकुम, अक्षत, दीया सभी से सुसज्जित किया गया। सभी ने एक दूसरे को रक्षाबंधन की बधाई दी। रितु और मधु ने माँ और पिताजी के हाथ में राखी बाँधी, मिठाई खिलाकर उनका आशीर्वाद लिया। मधु और रितु ने एक दूसरे को राखी बाँधी, उपहार दिए और खुश होकर एक दूसरे को रक्षा का वचन दिया।

रितु और मधु के पिताजी ने अपनी बेटियों को गले से लगाते हुए कहा -“रक्षाबंधन का महत्व तुम दोनों ने बखूबी सिखा दिया। ” रितु- मधु की माँ की आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े।

श्रीमती आभा दवे

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