नमस्कार दोस्तों मॉ वीणापाणी को नमन करते हुयें
आज मन किया कि एक रचना और लिख दूँ , व्यंग गद्य विधा में ,
एक इंग्रेजी से पढ़ी लिखी हुयी मॉ ,, अपने पॉचवी कछा में पढ़ते हुये बच्चे सें ,, बेटा रावन के विषय में जो मै जानती हूँ मै आप को समझाती हूँ ,
बेटा मोबाइल में ब्यस्त , मॉ मै मोबाइल से सब सीख रहा हूँ , देख रहा हूँ ,,
मॉ ,, नही बेटा मै समझाकर बताऊगी ,, सुनने से ग्यान होता हैं , बेटा जिद करता हुया ,, नो , नो , मम ,, आई नो वॉन्ट लीसेन , मॉ , ई इंग्ररेजी ससुरी लईकन के , न कुछ देता , न , त संस्कार ,, वहा बैठी हुयी दादी बोल बैठी ,,
मॉ , हॉ , बेटा हम देख रहे हैं , कि राम का नाम कम रावन का ज्यादा आ रहा हैं ,,
जैसे आजकल न्यूज चैनलो पर ,, छाया हैं ,, जहा देखो वही ,, बेचारा रावन के रूप में आजकल तो , सरहद पार के लोग ,, रातदिन लगे हुये हैं ,, बस कैसे हिन्दुस्तान पहुचे , , वही हाल हो गया आज ,,
बम बारूद गोली गोला ,अत्याचार वही सरहद पार बेटा आज के कलयूग का वो लंका हैं ,,
सोच निर्दयी खल मंडली , नकारात्मक सोच , यही हाल रहेगा तो निशिचर मरेगे ,,
बेटा ,,
मॉ , हिन्दी नही समझपाता हूँ ,,
मॉ ,
मै, कहॉ समझती हूँ वो तो एक दिन मंदिर गयी थी वही सुनी , और बता दी ,,
मॉ , राम कहॉ पैदा हुये थे ,,
आज गुगल नही बता रहा हैं ,,
नेट नही हैं ,,
सुनते ही दादी मॉ ,, हॉ तू सून सन ,,
राम बेचारे मस्जीद के जगह पैदा हुये थे ,,अभी तम्बू में हैं ,
कैसे तुम्हे पता चले बेटा ,, आप के नटवर लाल भागैं हैं ,,
हॉ दादी जी , ये नटवर लाल मिलेगे कहॉ , दादी जी ,, बेटा जब तुम अपने सर पर ऐन्टीना लगाओ गे ,, मॉ ,, जी मम्मी जी बच्चो को क्या सिखा रही हैं ,, आप को पता हैं सासु मॉ बोलते हुये जरा.रामायण पढ़ लियाकरो ,,
नही मॉ मै जीजस को मानती हूँ बेटा मेरा ,, गॉड को , , हम सब राम को नही जानते ,,
दादी मॉ ने ,,
जानो राम सत्य है , आज भी हैं कल भी हैं ।
मौलिक रचना
मिश्रा इंदु सान्ताक्रूज मुम्बई