भदोही। जब रमाकांत यादव का भदोही में पदार्पण हुआ तो अपने पारी की धमाके दार शुरूआत करते हुए रमाकांत ने ‘जातिवादी’ कार्ड खेलकर भदोही के लोगों को बांटने की साजिश रची लेकिन यह ज्यादा दिन तक न चल सका और 7 मई को अखिलेश मायावती ने इनके ‘चाल’ की पोल खोल दी। हालांकि भदोही जिले में रमाकांत यादव के रूप में यादवों को एक ‘बाहरी’ अपना नेता दिखा लेकिन यह केवल स्वप्न रह गया
रमाकांत जब भदोही में भाषण देते तो यही कहते कि मै आजमगढ में अखिलेश का समर्थन कर रहा हूं। यह केवल रमाकांत भदोही के यादवों को गुमराह करने के लिए कहते रहे लेकिन अखिलेश के सामने ही मायावती ने मंच से कहा कि यदि रमाकांत सच में अखिलेश के समर्थन में है तो भदोही से कांग्रेस से चुनाव न लडे बल्कि आजमगढ जाकर अखिलेश का प्रचार करें। अब यहां सवाल उठता है कि कांग्रेस व सपा एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है लेकिन भदोही में कांग्रेस का प्रत्याशी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का समर्थन करने की बात कर रहा है लेकिन कांग्रेस इस प्रत्याशी से ऐसा कहने पर सवाल नही पूछ रहा है। कही कांग्रेस को डर तो नही है कि यह प्रत्याशी नही लडेगा तो टिकट किसे दें? वैसे कुछ भी हो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ साफ कह दिया कि कांग्रेस के किसी नेता का मुझे समर्थन नही चाहिए। तो लोग अपने वोट के खातिर जनता को क्यो गुमराह कर रहे है? कांग्रेस प्रत्याशी रमाकांत यादव को यादवों में पैठ बनाने के लिए सच में साथ होना होगा। नही तो यादवों का वोट सपा में जाने से कोई नही रोक सकता है। एक बात और जरूरी है कि रमाकांत अपने ‘बाहरी’ नुमाइंदों पर ज्यादा तवज्जु न दें नही तो भदोही के लोग नाराज हो सकते है। नेता बनने के लिए सब को एक साथ लें चलें।