कल्याण: साकेत महाविद्यालय के बगल ही अवध रामलीला संस्था द्वारा प्रायोजित दसदिवसीय रामलीला पाठ मंचन के सातवें दिन 26 अक्टूबर को सीताहरण का दृश्य देखने हेतु डोम्बीबली, ठाणे, घाटकोपर एवं सांताक्रुझ तथा अंधेरी के क्षेत्रो से भी काफी रामभक्तो की तादाद पहुँची थी जो रामलीला पाठ मंचन के तीन घंटो के तमाम दृश्य देखकर मंत्रमुग्ध हो गये।
बता दें कि प्रतिदिन हर शाम 7 बजे उक्त मंच परिसर के पास दर्शको का जमावाङा लग जाता है जो तकरीबन आधे घंटे का भजन, गायन के आनंद लेने के बाद हर ऐक किरदारो द्वारा प्रस्तुत किए दृश्यो में गोते लगाते रहते है जिसका समापण रात 10.30 बजे तक किया जाता है।
बतातें चले कि कल के दृश्य के प्रसंग में सूर्पनखा का भी आगमन हुआ था जिसने भगवान राम या लक्षमण से ही अपनी शादी करने की जिद पकङ ली, जिससे पिंड छुङाने हेतू लक्षमण को उसकी नाक तक काटनी पङी। फलस्वरूप सूर्पनखा का भाई रावण जैसे ही इस घटना से भिज्ञ हुआ इसके बदले में उसने सीताहरण तक की योजना बना डाली और अपने मामा मारिच को सोने का मृगवेश धारण करने हेतु मजबूर किया और जिस मृग को पाने के लालच में सीता फँस गयी एवं राम से जिद कर बोली कि
कितना सुंदर हिरणा, जरा देखो तो सही
लाओ इसको मारकर, मेरी
मानो तो सही
तभी राम का कहना था कि
मेरी प्यारी सीता जरा समझो तो सही
कनकमृग संसार मे मैने देखा ही नही
परंतु लाख समझाने के बाद भी जब सीता ने अपनी जिद नही छोङी तो भगवान राम स्त्रीधर्म का मान रखने हेतु मृग को मारने जब चल पङे
तभी मायावी मृग लक्षमण को भी भ्रमित कर श्रीराम को अपने इधर ही जंगल में बुला लिया तभी रावण ने ब्राह्मण के वेश में आकर अकेली घर में रही सीता से भोजन भिक्षा के बहाने लक्ष्मण रेखा को भी पार कराकर सीता का हरण कर लिया।
मार्ग मे जटायू के द्वारा इस व्याभिचारी का विरोध करने पर रावण ने जटायू का वध कर डाला जिनके द्वारा ही भगवान राम को विदित हुआ कि रावण ही सीता का हरण कर दक्षिण दिशा की तरफ ही ले गया।
ज्ञातव्य हो कि हर रोज हजारो से भी अधिक उमङनेवाली भीङो में मुंबई के भी दर्शको की भीङ आ जाने से गाङियो की पार्किंग क्षेत्रो मे भी गाङिया पार्क करने हेतु भी काफी मशक्कत करनी पङती थी बावजूद इसके पात्रो एवं कलाकारो की सभी प्रस्तुति को दर्शको ने खूब सराहा।