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पार्ट 3 – भदोही में जातिवाद का ज़हर … तो इन्होने खुद किया विवादित वीडियो वायरल

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भदोही । सत्ता का सुख भोगने की चाहत इंसान को कितना नीचे गिरा देती है कि वह खुद नहीं सोच पाता कि उसके गिरी सोच से समाज में क्या असर पड़ता है, जो व्यक्ति समाज की सेवा करने का दंभ भरकर राजनीति में आता है वही अपनी निजी स्वार्थ के लिए समाज को तोड़ने में जुट जाता है । उसे इस बात की फिक्र नहीं रहती की अपने निजी लाभ के लिए जो कदम उठा रहा है उसका असर समाज पर क्या पड़ेगा । ऐसे सत्तालोलुप लोगो के जाल में फंसकर लोग खुद अपने ही बनाए सामाजिक ताने बाने को तोड़ने पर उतारू हो जाते है ।

खैर हम बात कर रहे थे कि उस विवादित वीडियो को किसने वायरल किया जिसमे भाजपा प्रत्याशी रमेश बिंद ने खुद को मिर्जापुर का सबसे बड़ा गुंडा बताया और कहा कि उनके नाम से मिर्जापुर काँपता है । वे बिंद समाज को उकसाते है कि एक के बदले सौ ब्राह्मणों को खोज कर मारे । एक सभ्य समाज में ऐसे वक्तव्यों के लिए कोई जगह नहीं होती । फिर भी कुछ मूढ़ ऐसे वक्तव्य पर ताली बजाते है । रामरती बिंद , महेंद्र बिंद और मदनलाल बिंद जैसे समाज के प्रहरी मौन धारण कर मुस्कुराते है । खैर पाँच महीने पहले का यह वीडियो वायरल करने कि जरूरत क्यों पड़ी ।

सर्वविदित है कि रमेश बिंद को भाजपा ने सिर्फ इसीलिए टिकट दिया कि वे पिछड़ों के नेता माने जाते है । भाजपा कि परम्परागत वोट और पिछड़ों की वोट मिलाकर चुनावी नैया पार करके संसद तक का सफर तय कर लेंगे, लेकिन इसी बीच आजमगढ़ के बाहुबली नेता रमाकांत यादव कांग्रेस से टिकट लेकर भदोही आए और वैचारिक आतंक पैदा कर दिया । ब्राह्मणों के खिलाफ बयान और सामंतवादी हाथ काटने के बयान ने उन बेवकूफ पिछड़ों को ताली बजाने को विवश कर दिया जिन्हे भदोही के इतिहास के बारे में जानकारी नहीं थी । उन्हें बस अपने लिए एक ऐसे नेता की जरूरत थी जो उनकी समस्या को भले ही दूर ना कर सके किन्तु सवर्णों को गाली देकर उनकी कुंठा को तृप्त कर सके ।

रमाकांत यादव के बयान के बाद पिछड़ों में बढ़ी उनकी लोकप्रियता ने रमेश बिंद के हाथ के तोते उड़ा दिए । एक ही झटके में उनका कद छोटा दिखाई देने लगा । इसी छटपटाहट ने एक दिमागी खुराफात को पैदा किया और रमाकांत यादव से बड़ा पिछड़ों का नेता दिखाने की कुलबुलाहट दिल में हिलोरें लेने लगी ।

अब रमेश बिंद भाजपा में थे इसलिए कोई भी ऐसा बयान नहीं दें सकते थे जिससे पासा उल्टा पड़ जाए । सवर्णों के खिलाफ बयान देकर वे पिछड़ों में भले ही लोकप्रिय हो जाते किन्तु भाजपा संगठन को यह मंजूर नहीं होता और वे भाजपा की परम्परागत वोट भी खो देते ।

सूत्रो की माने तो उनके समर्थको ने पाँच महीने उसी बयान को वायरल करने का सुझाव दिया । उस विवादित वीडियो के वायरल होते ही उनकी छवि पिछड़ों में एक दबंग नेता की हो गई । दूसरी तरफ सफाई यह दी गई की वह बसपा में थे तब उस तरह के बयान देने पड़ते थे । यह सफाई खुद रमेश बिंद ने नहीं बल्कि उन्ही ने देना शुरू किया जिनके खिलाफ बोला गया था । उसके विपरीत रमेश बिंद ने वीडियो को ही एडिट बता दिया ।

इसका असर भी दिखा और रमाकांत यादव बैकफुट पर चलें गए । त्रिकोणीय मुकाबला फिर दो लोगो में दिखाई देने लगा । भाजपा जनों का कहना रहा की रमेश बिंद ने गलत बयान दिया लेकिन ब्राह्मणों की मजबूरी है वे भाजपा के अलावा जाएगे कहाँ ।

कुछ लोग यह कह सकते है की आखिर रमेश बिंद के लोग क्यों वीडियो वायरल करेंगे किन्तु सवाल वही है की जो कार्यक्रम बिंद समाज का था उसमे वीडियो बनाने वाले भी उसी समाज के थे और उस समय रमेश बिंद का नाम भदोही से चुनाव लड़ने की चर्चा में भी नहीं था फिर इतनी दूर तक की सोच विपक्षी कैसे सोच सकते है । क्या जातिवाद का ज़हर बोकर राजनीति करने वाले समाज का कितना भला कर पाएंगे । यह समाज के सभी प्रबुद्ध वर्ग को सोचना होगा ॥

 

1 COMMENT

  1. “ज्ञानपुर हंडिया के जनता का दुर्भाग्य”

    ज्ञानपुर हंडिया लोकसभा क्षेत्र इस देश के जनता का कितना दुर्भाग्य है कि इस देश के शीर्ष पार्टियों को यहाँ के लिए कोई योग्य उम्मीदवार पूरे क्षेत्र से नही मिला।

    सबसे पहले पंजे वाले पार्टी के उम्मीदवार, जोकि आजमगढ़ से आये है, वो आते ही समाज के एक वर्ग के खिलाफ जातिगत दुर्भावना का मिसाइल छोड़ देते है।

    अब आती है फूल वाली पार्टी की बारी, इनके प्रत्यासी मिर्जापुर से है। इनका एक बहुत ही डरावना वीडियो वायरल हो जाता है। इससे ये प्रतीत होता है कि ये भी समाज के एक ही वर्ग के खिलाफ बेहद ही विकृत जातिगत भावना से पीड़ित है। हालांकि इनके वर्तमान पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता ये दावा कर रहे है कि चूंकि अब ये फूल वाली पार्टी में आ गए हैं इसलिए ये सुधर गए है। वो तो इनके पुरानी वाली पार्टी का असर था।

    हालांकि इनके सुधरने को लेकर मेरा इतना इतना ही भरोसा है, जितना कि आलू से सोना बनाने वाली मशीन पर।

    अब आते हैं गठबंधन के प्रत्यासी पर। ये क्षेत्रीय है, अपने ही क्षेत्र से विधायक एवं मंत्री रह चुके है। लेकिन इनके ऊपर भ्रस्टाचार का आरोप लग चुका है।

    अब भदोही को जनता इन्ही में से किसी एक को चुनने जा रही है।
    क्योकि अब इनके सिवाय भदोही की जनता के पास कोई उपयुक्त विकल्प भी नही है।

    भदोही की जनता अपनी सरकार तो चुन रही है लेकिन अपना सांसद आधे अधूरे मन से चुन रही है। क्योकि ये लोग यहां की जनता पर थोपे गए है।
    अतः जीत तो किसी एक प्रत्यासी की होगी….

    लेकिन

    “भदोही की जनता तो पहले ही हार चुकी है।”

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