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उलझे हुए प्रश्नो का संम्पूर्ण उत्तर दर्शाता मुंबई में इस जगह का रामलीला मंच

हमार पूर्वांचल
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कल्याण:पूर्व में चल रहे रामलीला पाठ मंचन के आठवें दिन यानि 27 अक्टूबर को शनिवार के सभी दृश्यो में चाहे वह शबरी द्वारा प्रभु राम को जूठे बेर खाने को देना, लक्षमण द्वारा वह बेर फेंक देना, नवधाभक्ति में कुल नौ प्रश्नो का संम्पूर्ण विस्तृत व्याख्या बताना, हनुमान जी का ब्राह्मण के वेश में आकर श्रीराम लखन से उनलोगो की पहचान पूछना, सुग्रीव से मित्रता का संबंध बनाना, कारण कौन नाथ मोहि मारा ऐसा प्रश्न बाली द्वारा श्री राम से पूछना, समुद्र लांघने की प्रक्रिया में जामवंत द्वारा हनुमान जी की शक्ति का याद कराना आदि-आदि उन सभी सवालो का पूरा स्पष्ट जबाव दिया गया उन सभी दृश्यो के माध्यम से जो कि बहुत राम भक्त अधूरे सवाल लेकर उचित जबाव जानने के अभिप्राय से अर्धज्ञानियो के पास भटकते है।

बता दें कि इससे पहले भी कितने रामभक्त इस सवाल पर असमंजस में थे कि आखिर जब राम एवं सीता तथा लखनलाल यदि निरामिष थे तो उन्हे मृग को मारने की जरुरत ही क्या थी।
जिसका भी स्पष्टीकरण अवध रामलीला संस्था के बैनर तले आयोजित रामलीला पाठ मंचन के सातवें दिन के प्रसंग के दृश्यो में देखने को मिल चुका है।

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शबरी भगवान राम के इंतजार में

गौरतलब हो कि शबरी भगवान राम के अपनी आश्रम में एक न एक दिन आने के इंतजार में रट लगाए फिरती है कि मेरे राम आंऐगें हाँ मेरे राम आऐगें और इसी बीच श्री राम को आने का गुहार लगाती है कि

खबर मोरे ले ले राम बीते रे दिन बीते
मोरे राम, खबर मोरे ले ले राम बीते रे दिन बीते
नैना रोये मधुवन रोये
मधुवन की हर कलियां रोये
मेरे राम अब तो आ जा रे बहुत दिन बीते 2
अब तो मुझको दर्शन दे दे
एक पग अब मुझसे चला नही जाता
आ जा रे राम तुम लखन सह सीते
बहुत दिन बीते रे बहुत दिन बीते, मोरे राम, बहुत दिन बीते….
आखिरकार ऐसे करूण एवं रूदन स्वर के पुकार से भगवान राम को शबरी का आतिथ्य स्वीकारना ही पङा।
तत्पश्चात हनुमान जी से मुलाकात हुई जिनके वजह से सुग्रीव से मित्रता हुई एवं बाली का वध हुआ। इसके बाद के प्रसंग में प्रभु राम ने अपनी ऊंगली की अंगूठी हनुमान जी को सीता के पास सबूत के तौर पर देते हुए बताए कि सीता को समझा देना कि एकदिन तुम्हारे राम तुमको लेने जरूर आऐगें।

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इसी बीच हनुमान जी ने सौ योजन का समुद्र लांघ सीता के पास विभीषण के मार्गदर्शन से सीता तक पहुँच प्रभुराम के वे सारे संदेश सुनाए जो जो प्रभुराम ने बताये थे। जहां माता सीता से आज्ञा लेकर कुछ कंद मूल फल खाये, जिसके दरम्यान वाटिका क्षतिग्रस्त हो चुकी जिसकी सूचना पाकर रावण बिफर पङा और अपने सैनिको को हनुमान के पूँछ मे आग लगाने का आदेश दे दिया। जिसपर आठवें दिन के सभी दृश्यो का समापन हर रोज के ही समयानुसार हुआ।
जिस संदर्भ में बहुत दर्शको को उनके उलझे या आधे अधूरे सवालो के पूरे जबाव भी मिले और दिखे।

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