Home अवर्गीकृत राम से बड़ा राम का नाम – स्वामी श्री विनोदानंद जी

राम से बड़ा राम का नाम – स्वामी श्री विनोदानंद जी

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हमार पूर्वांचल
श्री राम कथा

गुजरात-सूरत : उत्तर भारतीय महान समाज सेवक श्री मुन्ना तिवारी द्वारा श्री राम मन्दिर और श्री हनुमान मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा का आज छठाँ दिन था।

श्री मुन्ना तिवारी एक ऐसे शख्स है जो समाज के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते है। चाहे वह रेल आन्दोलन हो या लोकल समस्या। गरीब मजदूर को कारखाना मलिक से हक दिलाना हो या आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को सरकारी सहायता।

जहाँ कथा में श्री स्वामी विनोदानन्द सरस्वती जी महाराज ज्योतिर्मठ बद्रिका आश्रम हिमालय के मुखारविंद द्वारा अहिल्या के उद्धार की कथा बतायी गयी और श्रोताओं का मन विभोर हो गया।

कथा का प्रारंभ करते हुए श्री विनोदनंद जी महराज कहते है-
“राम एक तापस तीय तारि, कहहू कँहा लगी नाम बड़ाई। राम न सकहिं राम गुण गाई, कहहू कहा लगी नाम बड़ाई।”

राम जी ने ऋषी की स्त्री (अहिल्या) को तारा किन्तु राम नाम ने कई राक्षसों का उद्धार हो गया।

राम नाम की महिमा बताते हुए महराज स्वामी जी बताते है की एक बार सप्त ऋषी एक नास्तिक के यहां आतिथ्य स्वीकार करते है और जाते हुए उसे राम नाम जपने की सलाह देते है। नास्तिक कहता है कि राम नाम से क्या होता है? इस पर सप्त ऋषी निरूत्तर हो जाते है, फिर नारद जी, फिर ब्रह्मा जी, फिर शंकर जी भी। अन्त में सभी उस नास्तिक को प्रभु राम के पास चलने के लिये कहते है, नास्तिक जाने को तैयार नहीं होता। तब एक पालकी बना कर उस मे उसे बिठा कर प्रभु के पास पहुचते हैं। प्रभु से कहते है प्रभु एक बार राम नाम लेने से क्या फायदा है, तभी एक भक्त कहता है कि नास्तिक ने केवल एक बार “राम नाम नहीं कहूंगा” बोला है और ब्रह्मा, शंकर, नारद, सप्त ऋषी पालकी ढो कर इसे राम के धाम मे पहुंचा दिए इससे ज्यादा “राम” नाम की महिमा क्या हो सकती है।

जिसने अन्त में श्री राम कह दिया उसका सब कष्ट दूर हो जाता है।

“जनम जनम मुनि जतन कराही, अन्त राम कही आवत नाही।”

“पुनरपि जनमं, पुनरपि मरनं, पुनरपि जननी जठरे सयनं इही संसारे अति दुस्तारे कृपया पारे पाही मुरारी, भज गोविन्दम भज गोविन्दम गोविन्दम भज मूढ मति।”

अहिल्या उद्धार को श्री विनोदनंद जी महाराज, भगवान के नर्सिन्हावतार से जोडते हुए बताते है कि जब मेर एक भक्त प्रह्लाद पत्थर के खंभे से भगवान को निकाल सकता है, तो मै आज उस कर्ज को उतारूँगा और पत्थर से भक्त को निकालूँगा।

प्रभु के लीला का वर्णन सुनते हुए भक्त इस भजन पर झूम उठे

इस दुनिया में सुन्दर सुन्दर फुल खिलानेवाला,
तरह तरह की कठपुतली को नाच नचाने वाला,
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?
सबकुछ करता रहता फिर भी मौन है,
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?

कभी ध्यान सागर में जाता कितना जल ठहराया,
एक तरह से गेंद बना कर भूमण्डल को बताया,
सब को तारने वाला सारी सृष्टि रचाने वाला,
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?
सबकुछ करता रहता फिर भी मौन है,
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?

नील गगन में चम चम चम चम चमके चांद सितारे,
बिना सड़क के दौड़ा जाए सूरज का रथ प्यारे,
इसे भगाने वाला सारा नियम चलाने वाला
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?
सबकुछ करता रहता फिर भी मौन है,
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?

पंकज से ब्रह्मा प्रगटाया कण कण बृह्मा समाया
बृह्मा जी की बुद्धि चकारायी रची हरि की माया
कभी हँसाने वाला कभी रुलाने वाला
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?
सबकुछ करता रहता फिर भी मौन है,
बोलो बोलो कौन है? बोलो बोलो कौन है?

कथा रात्रि 8 बजे से 11 बजे तक होती है, किन्तु इतनी ठण्ड मे भी हजारों की संख्या मे राम भक्त पहुच कर कथा का रसपान करते है और अपने जीवन को सफल बनाते है। जिसका पुरा श्रेय उत्तर भारतीय समाज सेवक श्री मुन्ना तिवारी और उनके नेक व दरियादिली काम को जाता है।

हमार पूर्वांचल

आज की कथा में श्री राम विवाह का सजीव वर्णन किया जाएगा।

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