पत्रकारिता जो कभी लोगों की आवाज होती थी, जो लोगों को न्याय दिलाती थी, जो समाजसेवा की एक अंग थी आज वहीं पत्रकारिता कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से दूषित हो गयी है। समाज में अब इन्हें धन वसूली गैंग या चरणचाटन पत्रकार के नाम से जाना जाता है। समाजसेवा की यह पवित्र अंग कुछ स्वाभिमानी पत्रकारों की वजह से जिन्दा है, अन्यथा यह गैंग अप्रत्यक्ष रूप से लुटेरों का ही काम कर रही है।
सूत्रों की मानें तो इस समय धन वसूली गैंग से सबसे अधिक डीघ और अभोली ब्लाक के लोग त्रस्त हैं। कुछ ग्राम प्रधानों ने बताया कि धमकी देकर उनसे पैसे की मांग की जाती है और यदि इनकी मांग पूरी नहीं हुई तो फर्जी शिकायत करके अधिकारियों से जांच के नाम पर उत्पीड़न कराने की भी धमकी दी जाती है। हद तो यह है कि इस गैंग के लोग इतने शातिराना ढंग से लोगों को अपनी चाल में फंसाते रहते हैं कि सामने वाले व्यक्ति की जेब से कुछ न कुछ निकल ही जाता है। यह गैंग यदि किसी के पीछे पड़ जाये तो अधिक माल भले ही न निकाल पाये लेकिन कुछ न कुछ जेब से निकाल ही लेती है। ऐसे गैंग के कारनामें डीघ और अभोली ब्लाक में अधिक सुनने को मिल रहे हैं।
जानिये क्या है धन वसूली गैंग और चरणचाटन पत्रकार
वेब न्यूज चैनल और न्यूज पोर्टल के नाम पर कथित पत्रकारों की खेप भारी संख्या में बढ़ गयी है। बेरोजगारी के दौर में कथित आईडी लेकर ऐसे लोग सुबह घर से भोजन करके मैदान में कूद पड़ते हैं। आंख पर चश्मा और कंधे पर लटके बैग को देखकर लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि इनसे बड़ा पत्रकार कोई हो नहीं सकता है। जबकि न तो इन्हें खबरें लिखने का सउर है और न ही बात करने का। ऐसे गैंग के लोग किसी गांव में पहुंचेगे और गांव के विकास कार्यों की इस तरह जांच शुरू कर देंगे जैसे योगी सरकार ने इन्हें बिना पगार के जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है।
यह गैंग गांव के उनलोगों का बयान रिकार्ड करते हैं जो उस गांव के प्रधान के विरोधी होते हैं। प्रधान विरोधी बयान लेने के बाद ग्राम प्रधान के पास पहुंच जाते हैं और बोलते हैं कि आपके खिलाफ बहुत शिकायत है। हमें खबर भी भेजनी है इसलिये अपनी बाइट दीजिये। फिर अधिकारियों की बाइट लेकर खबर भेजनी है। अब ग्राम प्रधान का घबरा जाना स्वाभाविक होता है। वह मामले को दबाने के लिये मोल भाव शुरू कर देता है। इसी तरह यह गैंग कोटेदारों को भी फंसाती है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि कोटेदार और ग्राम प्रधान दबंग निकला तो यहीं गैंग चरणचाटन पत्रकार के रूप में परिवर्तित हो जाती है। फिर सामने वाले का गुणगान करते हुये बोलते हैं कि भाई पेट्रोल फूंक कर आया हूं कम से कम पेट्रोल का खर्चा दे दो। यानि सामने वाले की जेब से हजार पांच सौ नहीं निकला तो 100— 50 से ही काम निकाल लेते हैं।
चरण चाटन पत्रकारों की एक और कला आजकल व्हाट्सअप पर देखने को मिल रही है। जिन कथित नेताओं की कोई औकात नहीं है और उन्हें कोई पूछता नहीं है। उनके बारे में बड़े बड़े बयान लिखे जाते हैं। जो नेता अपने मोहल्ले की नाली नहीं साफ करवा पाते वे मोदी और योगी के बारे में बड़े बड़े बयान देते हैं और चरणचाटन गैंग ऐसे लोगों के बयानों को खबर बनाकर व्हाट्सअप पर शेयर करते हैं। इस गैंग के लोग किसी न किसी कार्यक्रम में पहुंचकर जिस तरह माइक के सामने कवरेज करते हैं उन्हें देखकर वास्तविक पत्रकारों को भी शर्म आने लगती है।
देखा जाय तो धन वसूली गैंग और चरणचाटन गैंग में कोई खास अंतर नहीं है। बस समय के अनुरूप अपने आपको परिवर्तन करने की कला इनके अंदर पनप चुकी है। धन वसूली गैंग के ऐसे कारनामें सुनने को बहुत मिल रहे हैं किन्तु लोक लाज के भय से इनसे शोषित लोग अपनी बात इसलिये नहीं कह पाते कि इस गैंग ने अपने उपर पत्रकारों का ठप्पा लगा लिया है। पत्रकारों और पत्रकारिता को बदनाम करने वाले इस कथित गैंग का पदाफाश तभी हो सकता है जब समाज का हर जागरूक व्यक्ति इनके खिलाफ खड़ा हो।
नोट: यदि समाज को विन्ध्वंस करने वाले इस गैंग से आप भी परेशन हैं तो मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं। अरूण कुमार मिश्रा, उप—संपादक : हमार पूर्वांचल व्हाट्सअप नंबर— 9819008198
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