सर्वोच्च न्यायालय : विजय माल्या(कोर्ट की बात न मानने पर) पर 4 माह की कैद और रुपये 2000 का जुर्माना लगाया है।
विजय माल्या जिसने देश का 9000 करोड़ रुपया चुराया है और पिछले 4 वर्षों से देश की कानून व्यवस्था, न्यायालय काफी का मखौल बना कर रखा है उसके ऊपर 2000 रुपये का जुर्माना अपने आप मे दुखद खबर है। इस देश मे ज़ेबरा लाइन क्रॉस कर जाने पर 10000 रुपये का (कही कहि तो 25000 रुपये का) हो सकता हैं पर विजय माल्या जैसे शातिर अपराधी के ऊपर इतना जुर्माने की बात कुछ हजम नही हुई। हजम हो भी तो कैसे देश जब अपने नागरिकों के कठिन परिश्रम के बल पर स्वयं को उठाने की कोशिश करता है तो इस प्रकार के लोग सरकार को देश को चुना लगाकर रफूचक्कर हो जाते है। वर्तमान में कुछ ऐसे उद्योगपति भी है जिनके ऊपर अरबो का कर्ज है, जबकि उनकी आय हर 2 वर्ष में दो गुनी हो जा रही है। यदि ये लोग भी भग गए तो देश के अर्थव्यवस्था की क्या हालत होगी। माना कि ये बड़े व्यापारी हमारे लिए उत्पादन कर रहे है हमारी जनता के लिए नौकरियों के सृजन कर रहे है, पर जब आपकी कमाई बढ़ती जा रही है तो आपका दायित्व है कि आप भी अपने कर्ज को चूकते रहे। पर यह होता कुछ और है यो लोग सरकार से इन कर्जो को npa में डलवाने की उम्मीद करते रहते है , और सरकार गए बेगाहे अपने चहितो के ऊपर लुटाती रहती है। हम इसपर कोई टिप्पणी नही करना चाहते क्योकि यह सरकार/अदालत का मामला है पर दे के किसानों के कर्ज माफी के समय जो लोग करुण विलाप प्रारम्भ करते है वह गलत है। हमारी मांग है कि देश में रह रहे ऐसे पूंजीपतियों/उद्योगपति से सख्ती से कर्ज वसूला जाय जिससे देश का धन देश के काम आए।।