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‘कोई माने ना माने’ पुस्तक का हुवा विमोचन, कल्याण में साहित्य प्रेमियोँ का हुआ जमावड़ा

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कल्याण के.एम. अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण के ऑडिटोरियम में ओम प्रकाश पांडेय ‘नमन’ के गजल संग्रह “कोई माने ना माने” का लोकार्पण कवि और साहित्यकार सुंदरचंद ठाकुर के हाथों संपन्न हुआ।

समारोह में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और पूर्व विधायक संजय दत्त, सुप्रसिद्ध साहित्यकार और हिंदी कवि बोधिसत्व, श्रीमती आभा बोधिसत्व, ‘परिदृश्य प्रकाशन’ के सर्वेसर्वा रमन मिश्र, नवभारत टाइम्स की फीचर और इंटरटेनमेंट संपादक श्रीमती रेखा खान विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता डॉ आर.बी. सिंह ने की।

इस अवसर पर बोलते हुए संजय दत्त ने ‘नमन’ के गजल संग्रह की कुछ लाइनों का पाठ भी किया और उन्हें बधाई दी।

नवभारत टाइम्स के संपादक सुंदर सिंह ठाकुर ने ‘नमन’ की ग़ज़ल —

“जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
तब बन मलंग तुम नाचोगे
जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
तब कोरा कागज बांचोगे .”

का पाठ करते हुए कहा कि यहां ‘नमन’ का अभिप्राय ईश्वर से इश्क करने का है। अपनी बातों से उन्होने वहाँ उपस्थित कल्याण वासियों का मन मोह लिया।

बोधिसत्व जी ने ‘नमन’ को बधाई देते हुए कहां की कविता में जहां घुमा फिरा कर बात की जाती है वहां नमन जी ने सीधे-सीधे अपनी बात की है। उन्होने ‘नमन’ की गजल के शेर

” तेरे छूने से संवर जाऊंगा
वरना बेवक्त बिखर जाऊंगा।
मैं तुझपे जान छिड़कता हूँ मगर
तूने पूंछा तो मुकर जाऊंगा।” की चर्चा करते हुये ‘नमन’ जिस सरलता से अपनी बात करते हैं उसकी चर्चा की।

रमन मिश्र ने इस अवसर पर बोलते हुए हिंदी साहित्य के बारे में अपनी व्यथा व्यक्त की और कहा कि अपने भाषा के साहित्य को दक्षिण के लोग जितना सम्मान और प्रेम देते हैं उतना हिंदी बोलने वाले नहीं देते।

श्रीमती रेखा खान और आभा बोधिसत्व ने ‘नमन’ की सराहना की और गजल संग्रह की जिल्द पर छपी ‘नमन’ की पंक्तियों’

“कहने का फन नहीं है यह जानता हूँ मैं
दुनिया की असलियत मगर पहचानता हूँ मैं।
होशोहवास गुम हैं हक़ीक़त को देख कर
सच कह ही डालता हूँ अगर ठानता हूँ मैं।”

का भी जिक्र किया।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ आर. बी. सिंह ने ‘नमन’ की गजल

” दिल की बातें दिल ही जाने मैं जानू या तू जाने
इश्क़ हुआ है हम दोनों को मैं मानू न तू माने।”…..

का पाठ किया और ‘नमन’ से अपनी पारिवारिक नज़दीकियों का हवाला देते हुये कहा की मैं ‘नमन’ को आज भी मुन्ना ही कह कर बुलाता हूँ।

स्वागताध्यक्ष विजय पंडित और सूत्रधार रमाशंकर चंदू तिवारी ने ‘नमन’ पर अपना स्नेह उड़ेला। आभार कालेज की प्राचार्या डॉ अनीता मन्ना ने माना।

इस अवसर पर अभिमन्यु शितोले, पारसनाथ तिवारी, सचिन पोटे , शिवकुमार त्रिपाठी, सदानंद बाबा तिवारी, श्रीमती अलका अवलसकर , डॉ गिरीश लटके, राजमणि त्रिपाठी, धनजी सोमानी, मुरलीधर तिवारी , राजू गवली , डॉ सुनील शर्मा , अनिल पंडित, नंदू म्हात्रे, रामचन्द्र पाण्डेय, अर्जुन भोईर , श्रीचंद केसवानी, डॉ दिनेश प्रताप सिंह, विश्वनाथ दुबे,शोभनाथ मिश्रा, कांतिलाल जैन, डॉ ऋषि कुमार मिश्र , वसंन जी देढ़िया और महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

कार्यक्रम में चार चॉद लगाया ओमप्रकाश पांडेय(मुन्ना)नमन ने अपनी कविताओं के द्वारा लोगों को मंत्रमुग्ध बना दिया साहित्य प्रेमियोँ को साहित्य से ज्यादा भला क्या अच्छा लगेगा समारोह गजलों गीतों के द्वारा नमन ने आनंदित किया ।

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