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इस्लाम की जमीन पर भारतीय संस्कृति को सम्मान, अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास

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अबू धाबी से प्रदीप सिंह मौनस की रिपोर्ट

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अबु धाबी की यात्रा के दौरान मंदिर निर्माण को मिली थी मंजूरी

भारत में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद पूरे विश्व में भारत की गरिमा बढ़ी है। जिन भारतीयों को पहले विदेशों में हेय दृष्टि से देखा जाता था आज उन्हीं भारतीयों को हर जगह सममान मिल रहा है। अपनी कुशल विदेश नीति और राजनीतिक सूझबूझ से नरेन्द्र मोदी ने वह कर दिखाया है जिसे करने में कांग्रेस की सरकार हमेशा हिचकिचाती रही। गौर करने वाली बात है कि जिस नरेन्द्र मोदी से भारत और पाकिस्तान के मुसलमान नफरत करते हैं उसी नरेन्द्र मोदी के सामने विश्व का सबसे बड़ा और मजबूत इस्लामिक देश खैर मकदम कर रहा है।

बीते शनिवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया गया है। इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुये हैं। इस मंदिर का निर्माण बोचासंवासी श्री अक्षर-पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था कर रही है। इस संस्था के आध्यात्मिक प्रमुख महंत स्वामी महाराज ने करीब चार घंटे के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इसके बाद मुख्य पूजा स्थल पर पवित्र ईंटें रखी गईं।

यूएई में भारतीय राजदूत नवदीप सूरी ने इस अवसर पर इस खाड़ी देश को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान भी पढ़ा। सूरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कहा कि 130 करोड़ भारतीयों की ओर से प्रिय मित्र और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को शुभकामनाएं देना उनका सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद यह मंदिर सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिक नैतिकता का प्रतीक होगा जो भारत तथा यूएई दोनों की साझा विरासत है।

सूरी ने कहा कि मंदिर वसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है, के वैदिक मूल्यों का प्रतीक है। भारतीय राजदूत ने प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से यह भी कहा, ‘मुझे यकीन है कि यह मंदिर यूएई में रहने वाले 33 लाख भारतीयों और अन्य सभी संस्कृतियों के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा।’ बता दें कि 2015 में मोदी की अबु धाबी की पहली यात्रा के दौरान स्थानीय सरकार ने इस मंदिर के निर्माण को मंजूरी दी थी।

मंदिर के शिलान्यास के दौरान धार्मिक भेदभाव भुलाकर और आपसी भाईचारा का संदेश देते हुये हिन्दू मुसलमान हजारों की संख्या में शामिल हुये।

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