वाराणसी- आज के समय में बिना तिलक-दहेज या अंतर्जातीय विवाह के बारे में सोचना भी अतिशयोक्ति सा लगता है। लेकिन आज के समय में भी आनन्द मार्ग नामक आध्यात्मिक संस्था बिना तिलक दहेज एवं अंतर्जातीय विवाह व्यवस्था को प्रमुखता देते हुए ऐसे विवाह कराती है। आनंद मार्ग में इस विवाह को क्रांतिकारी विवाह/विप्लवी विवाह (बिना तिलक दहेज का एवं जातिविहीन संप्रदाय विहीन विवाह) का नाम दिया गया है। यही नहीं विवाह में महिलाएं भी पुरोहित की भूमिका निभाती हैं। इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है।
दोनों परिवार वर-वधु समान विचारधारा के हो तभी विवाह को सफल बनाया जाता है। भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों सहित देश-विदेश के लोग भी इस विप्लवी विवाह पद्धति से विवाह करते हैं। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की अवधूतिका आनंद चित्रप्रभा आचार्या का कहना है कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वावलंबी हो रही है परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा। हम महिलाओं को केवल पौरोहित्य गिरी का अधिकार ही नहीं बल्कि महिलाओं द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम, दाह-संस्कार कर्म, श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा। आज तक समाज में पुरुष पौरोहित्य के द्वारा ही सारे धार्मिक कर्मकांड संस्कार कार्यक्रम संपन्न होते थे। आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया।
समाज में सभी को समान अधिकार है इससे किसी को वंचित करना घोर पाप है। महिला एवं पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं, इनके समान अधिकार के बिना समाज का सर्वांगीण उत्थान संभव नहीं है। महिला एवं पुरुष को आनंदमार्ग में समान अधिकार दिया गया है। महिलाओं को भी मानसिक शारीरिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का अधिकार मिलना चाहिए। अंधविश्वास से भी महिलाओं को ऊपर उठाना होगा। शादी विवाह के लिए सभी समय शुभ है जब सभी भगवान के ही बनाए हुए हैं तो सब कुछ समान है। हर समय शुभ है इसका भेदभाव समाज में खत्म करना होगा तभी समाज का सर्वांगीण विकास संभव होगा। आचार्या ने कहा कि नारी और पुरुष दोनों एक ही परम पिता के संतान है क्योंकि दोनों परम पिता के संतान हैं इसलिए जीवन की अभिव्यक्ति और अधिकार के क्षेत्र में दोनों को समान अधिकार है।