आप पहले भी छले गये और भी छले जा रहे हैं।
सैन (नाई )समाज आप का है समाज में व्याप्त कुरीतियों का निवारण भी साहस के साथ हम सब को मिलकर करना होगा।आप सत्यता स्वीकार करें, या नहीं किंतु कटु सत्य है। सैन समाज के जिम्मेदार व्यक्ती श्री मांगी लाल गठोडिया जी, सोनू मगन लाल सैन, रमासखा नापित, रणबीर सिंह सैन, सरजीत सिंह खंणसाल, श्री निवाश सैन, भानुप्रताप सिंह, राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर, राजेन्द्र टोक्सिया, लखन लाल आर्य, सैन भूप सिंह नन्दवंशी, अतुल शर्मा, सैन रीना रानी नन्दवंशी एवं सैन हरिकेश शर्मा नन्दवंशी जैसे समाज के असंख्य गणमान्य प्रबुद्ध, बुद्धिजीवी( सभी लोगों के नाम अंकित करने से लेख बहुत बडा होगा कृपया अन्यथा नही लें) द्वारा बारम्बार आग्रह करने के पश्चात भी सैन समाज में संचालित संगठन और उनके अध्यक्ष एक मंच एक अध्यक्ष पर सुलह कर अखिल भारतीय सैन (नाई)महासभा का निर्माण कर, संगठित और मजबूत कर सम्पूर्ण देश में आम सैन (नाई)समाज के जरूरतमंद स्वजातीय बन्धुओं को मदद हेतु तत्परता क्यों नहीं दिखा रहे हैं। अलग-अलग संगठन का निर्माण कर सीमित लोगों के साथ अध्यक्ष बनना सामाजिक अपराध नही है क्या? कहने के लिए संगठनों में, प्रबुद्ध, बुद्धिजीवी, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, जिम्मेदार, लोग है, परन्तु “नाम बडे और दर्शन छोटे “वाली स्थिति है।
समाज के कुछ पदलोलुप, स्वार्थी, लालची, अवसरवादी लोग अपने और अपने रिश्तेदार, अपने हमराही के स्वार्थ, हित के लिए अपने गौरवशाली इतिहास को भी भूल कर मनमाने तरीके से अपनी पहचान बनाने में मशगूल हैं। देश के सैन (नाई) समाज को टुकड़े-टुकड़े में विभक्त कर राग, द्वेष, तनाव पैदा कर जननायक कर्पूरी ठाकुर के सिद्धांत के विपरीत कार्य करके उनके आत्मा को कराहने पर विवश कर रहे हैं। असंख्य संगठन कार्य कर रहे हैं परन्तु सकारात्मक, रचनात्मक, एंव धरातल पर परिणाम शून्य है। संगठन के अध्यक्ष अपने एवं अपने संगठन को सक्रिय, बडा, असली, सामाजिक हितैषी, साबित करने में अपनी उर्जा का अपव्यय कर रहे हैं। देश में अपने सैन(नाई)समाज के कन्याओं का विवाह, अभावग्रस्त, बच्चों की शिक्षा, आईएएस, आईपीएस, आईआईटी, आईआईएम, एमबीबीएस, प्रोफेसर, मैनेजिंग डायरेक्टर, ब्यवसायी, जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन, सहयोग, जरूरत मंद स्वजातीय बन्धुओं को राजनीतिक, प्रशासनिक सहयोग करने जैसे परोपकार के लिए, संगठन के अध्यक्ष, पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि, प्रबुद्ध वर्ग सामने आने एवं सहायता के लिए क्यों तैयार नहीं होते हैं?
सम्पूर्ण देश में, सामाजिक, समारोह, अधिवेशन, का दंभ भरने वाले लोग, इनके समर्थक समाज को बतायें कि पूरे देश में किस सैन (नाई)परिवार को लाभ लाभ प्राप्त हुआ है? यदि लाभ मिला है तो अवश्य विवरंण दिजीये यह प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति का है समाज का है, संगठन एंव पदाधिकारी अवश्य उत्तर दिजीये यदि प्रश्न गलत है तो हमें दंडित करने का प्रावधान भी पारित करिये? यदि लाभ नहीं मिला तो ऐसे कार्यों में उर्जा और धन बर्बाद करने का मतलब क्या हुआ? सम्पूर्ण देश में निरन्तर सैन (नाई)समाज, के बन्धु शारीरिक, आर्थिक, शैक्षणिक, बौद्धिक, मानसिक, राजनीतिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं, पर समाज के समपन्न, प्रबुद्ध, बुद्धिजीवी, मनीषियों, बिदूषियो, कर्तव्यनिष्ठ स्वजातीय बन्धुओं को चिंता नही हो रही है ?
समाज के जिम्मेदार राजनीतिक नेता और प्रबुद्ध वर्ग लोग जब अपने ही समाज, संगठन और जाति को मजबूत, संगठित नही कर पा रहे हैं तो पिछडे, दलित, अति पिछडो की प्रमुख जाति को संयुक्त रूप से संगठित करके दूरगामी सकारात्मक समर्थन, परिणाम ला सकते हैं क्या?
हमारे सैन (नाई)समाज के पूरी तन्मयता, सकारात्मक ब्यवस्था को अपने अंहकार, लापरवाही, गैरजिम्मेदारी ब्यवहार, मनमानी करके आखिर क्यों बर्बाद कर रहे हैं?जिस जाति में, महापद्म नन्द, चरक, उपालि,सविता महर्षि, धनवंतरि, सैन महाराज, नारायणी माता, जननायक कर्पूरी ठाकुर, भिखारी ठाकुर, बीर भाई कोतवाल, जीवाजी म्हाले, अनेकों महान लोग जन्म लेकर देश, विदेश, पूरे विश्व को दिशा-निर्देश दिये हो, ऐसी जाति की ऐसी दुर्दशा हो रही है कि अन्य जाति के नेता, अफसर, आम आदमी जब चाहे, नुकसान, मजाक, जातिय टिप्पणी द्वारा अपमान करते हैं?हमारे समाज के ब्यक्तियों को सुनाई, दिखाई नहीं पड़ता है?
सैन (नाई)समाज के प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है कि समस्त संगठन एंव पदाधिकारी से पूछना चाहिए टुकड़ों टुकड़ों में बांटकर समाज का कितना विकास किया? कितने छात्रावास, विद्यालय, महाविद्यालय, विवाहभवन, अतिथि भवन, पुस्तकालय, अस्पताल, वाचनालय, प्याऊ बनाये गये? कितने प्रदेशों में अपने संगठन के स्थाई फंड की ब्यवस्था की गई, कितने राज्यों में स्वत:के भवन, राष्ट्रीय कार्यलय, प्रदेश कार्यलय बनाये गये? कितने आईएएस, आईपीएस, आईआईटी, बैंक प्रबंधक, जज्य, वैज्ञानिक, एमबीबीएस, एमडी, वकील, संगीत कार,कौशल कला के लिए मार्गदर्शन शिविर का आयोजन किया गया? कितने सामूहिक विवाह शिविर का आयोजन किया गया? जजमानी, पाखंड, आडम्बर, जादू टोना, झाडफूंक, शुभमुहूर्त, अपशगुन, दकियानुकिसी रीतिरिवाजों को समाप्त करने के लिए जनजागरण, जागरूकता अभियान प्रशिक्षण चलाये गये?
कितने सैन (नाई)समाज की बेटियों, बहुओं, के बलात्कारियों, समाज के लोगों को प्रताड़ित होने पर बिरोध प्रदर्शन, सजा दिलाने, हर प्रकार से सहयोग हेतु कदम उठाये गये?
विवाह, जन्मदिन,मृत्यु भोज,सामाजिक समारोह में, मंच, पगडी, फूल माला, साज सज्जा अन्य प्रकार के फिजूलखर्ची हेतु जागरूकता और प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है? सैन (नाई)समाज से, सासंद, विधायक, विधान पार्षद, प्रखंड प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, पार्षद, नगरसेवक,प्रधान जैसे पदों पर जिताकर, जनप्रतिनिधि बनाने की कोशिश की गई? यदि धरातल से जुड़े, जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण, समस्याओं के निदान, परोपकार से सम्बन्धित कार्यक्रम आयोजित नही किये गये तो किसी भी सैन (नाई)समाज के संगठन, अध्यक्ष, समाज के नेता की आखिर समाज को क्या आवश्यकता है ?