भदोही – काशी-प्रयाग मध्य के एक गांव से उठी सार्वजनिक ‘सोलर लाइट’ के स्वार्थी सदुपयोग की कथा ने पूरे जनपद के धर्मवीरों एवम् नेताओं की आंखे खोल दीं। इस मामले में ‘सांसदजी’ की प्रतिक्रिया के बगैर इस धारावाहिक खबर की पुर्णाहूति संभव नहीं थी। ऐसे में सोमवार की शाम सांसद बीरेंद्र सिंह (मस्त) से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, उस दौरान पता चला कि ‘सांसदजी’ पुजा पर बैठे हैं। सुबह ही दिल्ली भी पार्लियामेंट हेतु रवाना होना है। इसके बाद पुन: मंगलवार को इस कलमकार का काल उन्होंने नहीं उठाया, जिसके बाद त्वरित मोबाइल से ‘रिकाल’ करके सार्वजनिक ‘सोलर लाइट’ मामले पर चर्चा किया एवम् सकारात्मक प्रतिक्रिया भी दी।
गौरतलब है कि सांसद बीरेंद्र सिंह (मस्त) द्वारा सार्वजनिक स्थलों हेतु भेजे गये अधिकांश ‘सोलर लाइट’ का कार्यकर्ताओं ने जमकर दुरूपयोग किया था। इस मामले में ‘मातृभूमि संकल्प’ सहित कई धार्मिक संस्थाओं के युवाओं ने आंदोलन का संकेत भी दे दिया था। इस दौरान कुछ जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने कलमकार से खबर रोकने की गुजारिश भी की। उनका मानना था कि इस खबर से भाजपा के जनाधार को झटका लगा रहा है। इसमें कुछ ने भावनात्मक दबाव बनाने का प्रयास किया तो कुछ ने राजनीतिक बोलवचन से लेकिन कई जिला स्तरीय एवम् विधायक पद गौरवान्वित कर चुके एवम् ‘सांसदजी’ के कुछ करीबी नेताओं ने मजबूरीवश हुई भूल को भी स्वीकार किया।
कार्यकर्ताओं ने किया विश्वासघात..?
मंगलवार की शाम सांसद बीरेंद्र सिंह (मस्त) ने काल करने के बाद सार्वजनिक ‘सोलर लाइट’ मामले को पूर्ण रूप से सुना और कुछ भाजपा पदाधिकारी एवम् कार्यकर्ताओं द्वारा हुई भूल को स्वीकार किया। यह भी बताया कि धार्मिक संस्थाओं से उठे इस वैचारिक अपेक्षा की जानकारी ‘हमार पूर्वांचल’ द्वारा उनके पास पहुंच रही थी। खैर.. इतना ही नहीं इस ‘जमीनी हकीकत’ पड़ताल की खबरों को संज्ञान में लेते हुये जिम्मेदारी भी लिया कि संसदीय क्षेत्र के जिन गांवों में सार्वजनिक मंदिरों पर ‘सोलर लाइट’ नहीं लगा है उसे वे स्वयं जानकारी एकत्रित करके लगवा देंगे। अब यक्ष प्रश्न यह है कि ४ वर्षों में जो योजना सफल नहीं हुई क्या उसे २ महीने में सफल कर पायेंगे..?
नैतिकता का पढ़ाये पाठ.!
‘जमीनी हकीकत’ स्तंभकार के साथ बातचीत में सांसद बीरेंद्र सिंह (मस्त) की बातों से लग रहा था कि वे वाकई भाजपा संगठन कुछ पदाधिकारियों एवम् कार्यकर्ताओं द्वारा किये स्वार्थी-अधर्मी कार्य से दुखी हैं लेकिन वोट बैंक की मजबूरी के चलते कुछ ज्यादा बोल नहीं पा रहे थे। कलमकार की पत्रकारिता का स्वागत करते हुये उन्होंने नैतिकता का पाठ पढ़ाने का प्रयास करते हुये कि ‘ऐसा नहीं है कि सार्वजनिक स्थलों पर नहीं लगा लेकिन अधिकांश जगह जहां नहीं लगा है वहां आप जैसे कलमकारों से अपेक्षा है कि खबर के साथ थोड़ा समाजहित में उक्त स्थानों की जानकारी मुहैया करवाकर सहयोग कीजिये, ताकि उक्त कार्य पूर्ण हो और देवी-देवताओं के धाम में ऊँजाला।’