मुंबई । महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिचिन्ग के शिकार बने तीन संतों में एक कल्पवृक्ष महाराज का नाता भदोही जिले से था । इस घटना के बाद भदोही का नाम एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया है ।
बता दे कि कल्पगिरी महाराज भदोही जिले के वेदपुर कंतापुर निवासी लालचंद तिवारी के छोटे भाई थे । स्व. चिंतामणि तिवारी के छः पुत्रो में वे चौथे नंबर में थे । उनका बचपन का नाम कृष्णचन्द्र तिवारी था । लालचंद तिवारी ने बताया की जब वे दस साल के थे उसी समय अपनी दादी के साथ प्रयागराज कुंभ में गए थे इसके पश्चात वे भीड़ में कहीं खो गए परिवार वालों ने बहुत ढूंढा लेकिन पता नहीं चलता कई वर्षों तक ढूंढने के बाद परिवार वाले भी निराश हो गए, उन्हें यह भरोसा हो गया कि अब उनसे मुलाकात नहीं हो पाएगी । करीब 20 साल के बाद भैरो मठिया, विंध्याचल में गाँव के ही एक व्यक्ति ने पहचाना। श्री तिवारी बताते हैं कि उनके माथे पर बचपन में ही कुदाल से चोट लग गई थी । उसी से पहचाना ।
श्री तिवारी बताते हैं कि जानकारी होने पर चाचा जी लेने गए किन्तु उन्होने इनकार कर दिया । साथ में जो साधु थे उन्होने समझाया कि अब वे नागा साधु हैं , बाल ब्रह्मचारी हैं। यह भी बताया कि मुंबई में उनके परिवार के लोग हैं जो कभी कभी मिलने जाया करते थे ।
श्री तिवारी बताते हैं कि कुछ माह पूर्व उनके माता जी का देहांत हो गया वह माताजी से मिलने के लिए आने को बोले थे लेकिन आ नहीं पाए किंतु देहांत की सूचना मिलने के पश्चात उन्होंने एक बार घर आने को बोला था तब तक उनके मौत की खबर आ गई कल्पवृक्ष गिरि महाराज के निर्मम हत्या पर उनका पूरा परिवार दुखी है और हत्यारों के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग कर रहा है
गौरतलब हो कि 16 अप्रैल को पंचदशनाम जूना अखाड़े के संत कल्पवृक्ष गिरी (70), सुशील गिरी (35) कार से ड्राइवर निलेश तेलगड़े के साथ अपने गुरु श्री महंत रामगिरी जी की अचानक मौत के कारण उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई से गुजरात के लिए निकले थे। पालघर महाराष्ट्र के थाना कासा क्षेत्र के गढ़ चिंचले गांव के पास लाक डाउन के बावजूद पहले से मौजूद 200 लोगों ने संतों की कार को रोककर पलट दिया और उन पर जमकर पथराव किया।
इस दौरान वन विभाग के कर्मचारी ने रात 11:00 बजे थाना कासा को घटना की जानकारी दी। पुलिस ने संतों और ड्राइवर सहित तीनों को जीप में बैठाया मगर इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस की मौजूदगी में तीनों को लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। इस दौरान पुलिस पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही। इस दौरान संतो के पास मौजूद रुपये और भगवान के सोने के श्रृंगार का सामान भी लूट लिया। इस मामले में वाराणसी में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरी ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है।