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भदोही में सपा नेताओं ने ‘दिखावा’ के चक्कर सोशल डिस्टेंसिंग की उडाई धज्जियां

भदोही। सरकार जहां लोगों को इस कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का आदेश जारी किया है। और प्रशासन के लोग इस पर सक्रियता से पालन कराने पर लगे है। लेकिन जिले में समाजवादी पार्टी के लोग शायद सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देश को न मामने की कसम खा ली है और एक बार नही बार बार अपने हिसाब से कार्य कर रहे है। भदोही जिले के उगापुर में एक हफ्ते में सपा के नेता दो बार औरैया हादसे में मृतक के घर पहुंचे और आर्थिक मदद को लेकर परिजनों से मिले। मृतक के परिजन को इस संकट की घडी में सांत्वना व सहयोग देने काफी अच्छा और प्रसंशनीय है लेकिन सपा नेताओ के दोनो बार दौरे में एक चीज समान देखी गई कि मृतक के घर गये तो लेकिन लोग मास्क लगाना उचित नही समझे और मृतक के यहां कई लोग भीड के रूप में दिखे। सपा द्वारा मृतक के परिजनों को मदद करना तो अच्छी पहल है लेकिन शासन प्रशासन के निर्देश को मानना भी जरूरी है। सपा के नेताओं द्वारा मास्क न लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना कहां तक उचित है? या तो यह कहा जाये कि सपा के लोग इसमें भी ‘राजनीति’ कर रहे है कि मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश तो ‘भाजपा’ काल में आया है इसलिए इसका पालन करने की अपेक्षा न पालन करना ज्यादा बेहतर है। हालांकि इस मदद में गये नेताओं में संख्या एक-दो भी हो सकती थी लेकिन कई लोग गये जो जिले में लगी धारा 144 का भी उल्लंघन है। हालांकि नेताओं की हर कार्यो पर प्रशासन के लोग फिदा होते है। केवल नियम कानून का ज्यादा प्रभाव गरीब और कमजोर पर दिखता है बडे लोगों पर नही। सपा नेताओं का बिना मास्क लगाये मृतक के घर पहुंचने और सहयोग देने का फोटो वीडियो सोशल मीडिया और समाचारों पर खुब छाया है लेकिन प्रशासन के लोग इस पर ध्यान नही दे रहे है कि यहां पर धारा 144, सोशल डिस्टेंसिंग का खुला उल्लंघन है। साथ मे लोग मास्क भी नही पहने है। यदि जिले के सपा के दिग्गज नेता इस तरह की मिशाल पेश करेंगे तो समर्थक और छूटभैया नेता भी इनका अनुसरण करके इस तरह का कार्य कर सकते है। मानते है कि मृतक के घर एक-दो नेता जाकर सहायता राशि की प्रकिया पूरा कर सकते थे लेकिन सभी लोग केवल फोटो सेशन के चक्कर में पहुंचकर मौत पर ‘राजनीतिक’ रोटी सेंकने पहुंचकर शासन प्रशासन के निर्देश की बेखौफ होकर धज्जियां उडाई। लेकिन प्रशासन के लोग है जैसे उनको पता ही नही चला अब तक। यदि यही कोई गरीब और कमजोर की बात होती तो प्रशासन के लोग कब के सक्रिय हो गये होते। मानते है कि वैचारिक मतभेद राजनीति में होता है लेकिन देशहित में जारी निर्देशों का पालन करना भी सभी का परम कर्तव्य है।

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