नीलम हीरे के बाद बहुमूल्य रत्न है। नीलम मुख्यतः शनि गृह की पीड़ा शांत करने के लिए धारण किया जाता है। कुम्भ और मकर राशि वालों के लिए नीलम धारण करना लाभकारी होता है। नीलम को धारण करने से पहले ज्योतिषी से अवश्य सलाह लें इसका मुख्य कारण यह है कि नीलम सभी लोगों को फायदा नहीं देता है। इसके धारण करने पर परिणाम इस पार या उस पार के हो सकते हैं अर्थात या तो बहुत सफलता या फिर असफलता, धारण करने के बाद यदि परिणाम उलटे आएं तो इसे बिलकुल धारण न करें। नीलम धारण करने से मानसिक शांति बनी रहती है। आप जल्दी बातों से तनावग्रस्त नहीं होते। नीलम धारण करने से शनि की साढ़ेसाती से भी राहत मिलती है। राजनेताओं और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए नीलम राम-बाण है। हड्डी से जुड़े रोगों या लकवा जैसे रोगों में इसको लाभकारी पाया गया।
नीलम रत्न दोषयुक्त तब कहा जाता है, जब उसमें कही-कही पर सफेद धारियां दिखाई दे रही हो। ऐसे नीलम रत्न को पहनने वाला व्यक्ति शस्त्र द्वारा आहत होकर मृत्यु प्राप्त करता है। ठीक इसी प्रकार यदि नीलम रत्न पर सफेद धब्बे स्थित हो तो धनहानि की सूचना देता है। दुरंगा नीलम रत्न वैवाहिक जीवन में अलगाव एवं बिखराव का कारण बनता है एवं यही नीलम रत्न यदि दरार या गुणक चिन्ह युक्त एवं जालयुक्त होता है तो वह दुःख, दारिद्रय को बढ़ाने का कार्य करता है। गड्ढेदार, खुरदरा, आभाहीन और छोटे-छोटे बिन्दुओं युक्त एवं छीटों युक्त नीलम रत्न भी अत्यधिक अनिष्टकारी प्रभाव वाला होता है। लालिमायुक्त नीलम रत्न तो और भी अनिष्टकारी समझा गया है। इस प्रकार के दोषयुक्त लक्षणों वाले नीलम रत्न तन, मन, धन परिवार और प्रतिष्ठा सभी के लिए अनिष्टकारी एवं अहितकारी माने गए है।
कलयुग में छल कपट का प्रभाव प्रसार
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