Home साहित्य व्यंगबाण : लगन तपस्या बनी रही तो 2019 दूर नहीं

व्यंगबाण : लगन तपस्या बनी रही तो 2019 दूर नहीं

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मामा को भान्जों ने लूटा, रानी लूट गयी चाल में।
डाक्टर खुद पेसेन्ट हो गए, भाजपा आज रसताल में।
भाजपा रसताल में, इज्जत बच गयी इवीएम की।
कोई नहीं अब कहेगा उसको, चाल चली है पीएम की।

भाजपा की हार के, कई मायने आते हैं।
धीर धरो भाई एक एक कर, सभी हम बताते हैं।
चाह नहीं की जनता पूरी, नेता भी तो घुमा दिये।
देख देख आँखे तरसाई, विकास को भी गुमा दिये।

दिन प्रति दिन मंहगाई मारी, काम धन्धा पड़ा नहीं।
नवयुवक थे आस लगाए, मोदी से कोई बड़ा नहीं।
जनता डटी पड़ी थी फिर भी, उसको भी तो लड़ा दिया।
एससी एसटी ला कर बाबु, सबके सामने खड़ा किया।

मन्दिर मन्दिर करते करते, मन्दिर को भुला दिये हो तुम।
टेलर है दिखलाया सब ने, 19 को भी गंवा दिये हो तुम।
तुमसे सीख सीख के राहुल, सीसा तुमको दिखा दिया।
मित्रों मित्रों रह गए कहते, वो तो मित्र बना गया।

लगन तपस्या बनी रही तो, 19 का वो राजा होगा।
बाकी सब मित्रों का भाई, बज रहा बाजा होगा।
अब भी सीख सीख से लेलो, कर दो काम जनार्दन का।
छत दे कर के देख लो भैया, फिर समय न आये क्रन्दन का।

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