भदोही। गत शनिवार को ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के लखनो गांव के समीप एक अवैध रूप से कोचिंग सेंटर की आड़ में चल रहे निजी स्कूल में रसोई गैस सिलेंडर से चल रहे स्कूल वैन में आग लग गई थी। इस दर्दनाक हादसे में 18 मासूम स्कूली बच्चे झुलस गये थे। जहां आज भी गंभीर रूप से झुलसे कई बच्चे वाराणसी के ट्रामा सेंटर में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। हालांकि जनपद के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से सूबे के मुख्यमंत्री ने इस हादसे में शिकार हुए प्रत्येक स्कूली बच्चों के परिजनो को इलाज सहित एक लाख का सहयोग राशि प्रदान की है। जिसे आज इस धनराशि को सांसद वीरेन्द्र सिंह ‘मस्त’ तथा भदोही व औराई विधायक द्वारा पीड़ित परिजनों को सम्भवतः सौंप भी दिया गया।
सवाल यह उठता है कि इस हादसे का जितना जिम्मेदार स्कूली वैन स्वामी, स्कूल संचालक व वैन का चालक है उतने ही जिम्मेदार परिवहन विभाग व शिक्षा विभाग के अधिकारी भी हैं। क्योंकि जिस विद्यालय में यह वैन संचालित हो रही थी वह विद्यालय पूरी तरह अवैध था। तथा कोचिंग सेंटर के आड़ में संचालित हो रहा था। इसी तरह परिवहन विभाग की लापरवाही से रसोई गैस सिलेंडर से चलने वाली स्कूली वैन से बच्चों को ढ़ोया जा रहा था।
सूत्र बताते हैं कि जनपद में सैकड़ों से अधिक चलने वाले अवैध व बगैर मान्यता प्राप्त चलने वाले विद्यालय से शिक्षा विभाग को जहां प्रतिमाह लाखों रूपये की आमदनी होती थी। वहीं तमाम स्कूलों में चलने वाले वाहनो से परिवहन विभाग के अधिकारी भी मालामाल थे। कथित सुविधा शुल्क लेकर परिवहन विभाग बड़े पैमाने पर ऐसे व मानक को ताक पर रखकर चलने वाले वाहनों को चलने की इजाजत दे रखी थी। स्कूल वैन हादसे के बाद तो सत्ता पक्ष के तमाम नेताओं ने भी शिक्षा व परिवहन विभाग के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई कराये जाने की बात कही थी। लेकिन हादसे के कई दिन बीत जाने के बावजूद भी अभी तक जिले के परिवहन विभाग व शिक्षा विभाग के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पायी। आखिर इन दोनो अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी यह अब भी चर्चा का विषय बना हुआ है।