बांद्रा। गुरुवार, 21 नवंबर को आर्य विद्या मंदिर बान्द्रा (प.) द्वारा सेन्ट एन्ड्रयूज काॅलेज के प्रेक्षागृह में सत्रहवें वार्षिक उत्सव के ध्यानार्थ ‘उत्कर्ष’ की रंगारंग प्रस्तुति की गई। गौरतलब हो कि उत्कर्ष’ की यह यात्रा 2002 से आरंभ होकर हर साल अभी तक अनवरत जारी है। यह यात्रा आर. के. नारायण से आरंभ होकर मीरा बाई, तुलसीदास, व्ही. शांताराम, राजा रवि वर्मा, भीष्म साहनी, जे. आर.डी. टाटा, विक्रम साराभाई, महादेवी वर्मा, एम. एस.सुबुलक्ष्मी जैसे कई पड़ाव पार कर चुकी है। इस वर्ष विद्यालय द्वारा ” द फाउन्टेनहेड ऑफ इन्जीनियरिंग इन इंडिया “भारत रत्न ‘ सर एम. विश्वैश्वरैयाजी” व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया। इन के जीवन से युवा पीढ़ी को कार्य के प्रति समर्पण व दूरदर्शी होने की प्रेरणा मिलती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत न्यूक्लीयर भौतिकशास्त्री डाॅ. ए. पी. जयरामनजी जो वर्तमान में ‘स्टीम एकडमी ‘ के प्रेसीडेंट हैं, ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम कला और विज्ञान के संगम की अनूठी मिसाल है। इस उत्सव में लगभग 450 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।आगामी उत्कर्ष के लिए महर्षि चरक के नाम की घोषणा की गई।आर्य विद्या मंदिर विद्यालय समूह की निर्देशिका महोदया श्रीमती ज्योति कुमार ने प्रत्येक सदस्य को कार्यक्रम की सफलता पर हार्दिक बधाई दी तथा कार्यक्रम के संचालन, संपादन तथा प्रस्तुति हेतु सभी सदस्यों की प्रशंसा की।
आर्य विद्या मंदिर बांद्रा पश्चिम की प्रधानाचार्या श्रीमती स्मिता सुलाखे ने कहा कि उत्कर्ष एक ऐसी समाज की धरोहर है जिसे विकास की ओर ले जाना हमारा कर्तव्य है। जो आर्य विद्या मंदिर बान्द्रा पश्चिम पूर्ण रूप से निभा रहा है। आर्य विद्या मंदिर समाज के उपाध्यक्ष श्रीमान आर. के.सहगल जी ने कहा कि सर विश्वेश्वरैया का जीवन नैतिक मूल्यों के विकास का ज़रिया है।