बरसठी (जौनपुर ) जौनपुर जनपद के मडियाहू तहसील के बरसठी ब्लॉक के हरद्वारी गांव के पारस नाथ त्रिपाठी के तीसरे पुत्र के रूप में जन्मे शचीन्द्रनाथ त्रिपाठी बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे। टी डी कालेज जौनपुर से विज्ञान वर्ग से शिक्षा ग्रहण के दौरान ही छात्र राजनीति में सक्रिय रहे । हालांकि पारिवारिक पृष्ठभूमि ही राजनैतिक रहा । इनके बड़े भाई यतीन्द्रनाथ उर्फ पन्ना लाल त्रिपाठी कचहरी न्यायालय जौनपुर में वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं ।
शचीन्द्रनाथ त्रिपाठी सन 1983 में सक्रिय राजनीति में बरसठी ब्लॉक के प्रमुख चुनाव से कदम रखे ।आजादी के बाद से लगातार प्रमुख रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाबू तेज बहादुर सिंह को प्रमुख चुनाव में पराजित कर सुर्खियों में आये ।हालांकि तेज बहादुर सिंह के नाती देवेंद्र बहादुर सिंह ने पांच वर्ष बाद 1988 में शचीन्द्रनाथ त्रिपाठी को प्रमुख चुनाव में हराकर अपने दादा के हार का बदला ले लिया ।
शचीन्द्रनाथ त्रिपाठी के कदम हार के बावजूद रुके नही । यह कांग्रेस पार्टी में सक्रिय राजनीति करते रहे । 2002 में बरसठी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े किन्तु उस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा ।2007 में पार्टी बदल कर समाजवादी पार्टी से बरसठी विधान सभा से चुनाव लड़े ,जिसमे विजय श्री इनका कदम चूमी ।
शचीन्द्रनाथ त्रिपाठी आम जनमानस में इतने लोकप्रिय रहे कि बरसठी विधान सभा की जनता इनको गुरुजी की उपाधि से बुलाने लगी। याददास्त तो ऐसी की हजारों की संख्या में भी सबका नाम लेकर पुकारना गुरु जी आदत में शुमार था ।इतना प्रखर वक्ता शायद पूरे जनपद में आज की तारीख में भी कोई नही है ।गुरुजी अपने लोगो के लिये पैदल ही निकल लेते थे । कपड़ो की परवाह नही ।गंदा है कि फटा है गुरुजी को इससे कोई फर्क नही पड़ता था । यही कारण रहा कि बरसठी का बच्चा बच्चा गुरुजी से अपनी बात बिना किसी संकोच के कह लेता था।
2012 में जौनपुर की ब्यालसी विधानसभा खत्म कर जफराबाद विधानसभा बनी तो सचिन्द्रनाथ त्रिपाठी को सपा ने ब्यालसी से कई बार विधायक और बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे लोकप्रिय विधायक जगदीश नारायण राय के सामने चुनाव लड़ाया तो शचीन्द्रनाथ त्रिपाठी जगदीश नारायण राय को शिकस्त देकर नई विधानसभा जफराबाद का पहला विधायक बनने का खिताब अपने नाम कर लिया ।2017 के चुनाव में मोदी योगी लहर में गुरुजी अपनी कुर्सी नही बचा पाये और भाजपा के डॉ हरेंद्र प्रताप सिंह से बहुत कम मतों के अंतराल से चुनाव हार गये ।
विगत फरवरी में घर मे लगी टाइल्स पर फिसलकर गिरने से सिर में चोट लगी ,जिससे गुरुजी कोमा में चले गए ।लंबे इलाज के बाद बीती रात डॉ राम मनोहर अस्पताल लखनऊ में अपने जीवन की अंतिम सांस लिए । गुरुजी के मौत का समाचार सुनकर पूरा क्षेत्र स्तब्ध और शोक में डूब गया ।
लोग गुरुजी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर हरद्वारी की तरफ निकल पड़े ,जिससे हरद्वारी में मेला जैसा दृश्य हो गया ।सब अपने चहेते और लोकप्रिय नेता की एक झलक पाने के लिए बेताब थे।