भदोही में शिक्षा माफिया इतने सक्रिय है कि शिक्षा विभाग उनके सामने घुटना टेकते हुए नजर आता है। सरकार विद्यालय के खोलने, मान्यता, संसाधन, व्यवस्था, बच्चों को लाने वाले वाहनों के लिए मानक निर्धारित करती है। वह तो शायद ही पूरा हो लेकिन विभाग मान्यता दे देता है। जिले में बहुत लोग इसी बहाने कक्षा पांच तक मान्यता लेकर हाईस्कूल तथा आठवीं तक मान्यता के बाद बारहवी तक की कक्षाएं संचालित कराते है। कोचिंग की आड़ में विद्यालय चलाते है। यह सब यदि हो रहा है तो केवल विभाग की लापरवाही और मिलीभगत से। जब भी नया सत्र शुरू होता है तो अवैध स्कूलों पर पाबंदी लगाने की बात होती है लेकिन वह केवल कागज तक ही सीमित रहता है। जिसमें विभाग शिक्षा माफियाओं के मकड़जाल में फंस जाता है। और विभाग जानबूझकर कार्यवाही नही करना चाहता है।
इसका सटीक उदाहरण गोपीपुर में स्थित विद्यालय है जिसके वजह से कई बच्चे जिंदगी जीने की जंग लड रहे है। भदोही जिला प्रशासन ने मात्र दो दिन की छापेमारी में सौ से अधिक अवैध विद्यालयों को चिन्हित किया और नोटिस चस्पा कर दिया। इस मामले पर जिले के जिलाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद ने बंद किये जा रहे अवैध विद्यालय के बच्चों के शिक्षा के लिए विकल्प ढूढ रहे है। लेकिन शनिवार का हादसा जो पुरे जिला को झकझोर कर रख दिया। और लोग प्रशासन और शिक्षा विभाग को दोषी ठहरा रहे है। इस आरोप को ध्यान में रखकर शिक्षा विभाग ने कमर कस कर ताबक तोड छापेमारी की और दो दिन में अवैध विद्यालयों का शतक लग गया।
जिले में यदि सरकारी विद्यालयों को छोड दें तो निजी विद्यालयों की संख्या 743 है।जिले के भदोही ब्लाक में 207, औराई ब्लाक में188, ज्ञानपुर ब्लाक में 142डीघ ब्लाक में 117, सूरियावां ब्लाक में 55 और अभोली ब्लाक में 34 प्राइवेट मान्यता प्राप्त विद्यालय है। यदि छापेमारी की बात की जाए तो ज्ञानपुर ब्लाक में 22 , औराई व डीघ ब्लाक में 21, भदोही ब्लाक मेला 16, सूरियावां में 15 और अभोली ब्लाक में 11 अवैध विद्यालय सील किये गये। 25 जुलाई 2016 को हुई कैयर मऊ रेलवे दुर्घटना से प्रशासन जग गया है। हालांकि जिले में भ्रष्टाचार का कोई जवाब नही। भदोही ही में शनिवार को एक कालेज की दीवाल गिर पडी थी लेकिन फिर भी वही आगामी परीक्षा केन्द्र बनाया गया है यह विद्यालय। कुछ परीक्षा केन्द्र भाड़े के कमरे पर चल रहे है। लेकिन प्रशासन अपने कार्यों को सही ढंग से करे तो किसी की भी औकात नही।