Home ज्योतिष श्रवण नक्षत्र के कारण श्रावण माह नाम पड़ा।

श्रवण नक्षत्र के कारण श्रावण माह नाम पड़ा।

यदि आपका जन्म नक्षत्र है श्रवण, जरूर करें इस सावन महीने में भगवान विष्णु और शिव की उपासना क्योंकि श्रवण नक्षत्र का ही स्वामी चंद्र है और देवता विष्णु।

आइए जानते हैं।श्रवण नक्षत्र के जातकों का व्यक्तित्व

ज्योतिष के अनुसार इस मास के दौरान या पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र का योग बनता है इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह का नाम श्रावण हुआ। इस माह से चातुर्मास की शुरूआत होती है। यह माह चातुर्मास के चार महीनों में बहुत शुभ माह माना जाता है। चातुर्मास धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। शिव पूजा का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में सावन में भगवान शिव की आराधना का महत्व अधिक बताया गया है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि मार्कण्डेय ने लंबी उम्र के लिए शिव की प्रसन्नता के लिए श्रावण मास में कठिन तप किया, जिसके प्रभाव से मृत्यु के देवता यमराज भी पराजित हो गए। यह भी मान्यता है कि सावन में शिव द्वारा पार्वती को सुनाई गई अमरत्व कथा सुनाने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि सावन में शिव आराधना का विशेष महत्व है। साथ ही इस नक्षत्र के देवता विष्णु जी है और विष्णु जी को संसार के पालन-पोषण का कार्य भार सौंपा गया है।

यदि श्रवण नक्षत्र किसी व्यक्ति की कुंडली में पाप अथवा अशुभ प्रभाव में है तब उसे विष्णु जी की पूजा-उपासना प्रतिदिन नियमित रूप से करनी चाहिए। विष्णु जी का मंत्र, विष्णु जी की 108 नामावली अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करने से श्रवण नक्षत्र की अशुभता दूर होती है और शुभ परिणाम मिलते हैं। भगवान विष्णु जी के कई अवतार हुए हैं तो उनमें से किसी एक की आराधना करने से भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है। व्यक्ति अपने इष्टदेव की पूजा-आराधना से भी श्रवण नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को खतम कर सकता है। कुछ विद्वानों का मत है कि चंद्रमा का गोचर जब श्रवण नक्षत्र में हो या तृतीया तिथि हो तब विष्णु भगवान या उनके अवतारों की उपासना करने से विशेष शुभ फल मिलते हैं या श्रावण महीने के पहले नौ दिनों में विष्णु भगवान की पूजा करने से भी अति विशिष्ट फलों की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु अथवा उनके अवतारों की उपासना करने से भी शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। हल्के नीले रंग का उपयोग करने से भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि होती है।

श्रीमद्भागवत गीता का प्रतिदिन पाठ करने से भी श्रवण नक्षत्र शुभ फल प्रदान करता है और व्यक्ति सुखी व संपन्न होता है। खीर व अपामार्ग की लकड़ी से होम करते हुए श्रवण नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। यदि मंत्र करना संभव ना हो तब केवल वैदिक मंत्र का ही जाप 108 बार रोज करना चाहिए।

मंत्र है :-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ज्योतिषशास्त्र में नक्षत्रों की महत्ता का बखान मिलता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति जिस नक्षत्र में जन्म लेता है उस नक्षत्र का प्रभाव व्यक्ति पर जीवन भर रहता है। जन्म नक्षत्र, नक्षत्र स्वामी और उसकी राशि एवं राशि स्वामी से व्यक्ति सदा प्रभावित रहता है। यहां देखते हैं कि श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर इसका प्रभाव होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व, स्वभाव एवं व्यवहार कैसा होता है? ज्योतिषशास्त्र में नक्षत्रों की महत्ता का बखान मिलता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति जिस नक्षत्र में जन्म लेता है उस नक्षत्र का प्रभाव व्यक्ति पर जीवन भर रहता है। जन्म नक्षत्र, नक्षत्र स्वामी और उसकी राशि एवं राशि स्वामी से व्यक्ति सदा प्रभावित रहता है।

यहां देखते हैं कि श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर इसका प्रभाव होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व, स्वभाव एवं व्यवहार कैसा होता है? धर्मशास्त्र में इस नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। इस नक्षत्र का नाम मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार के नाम पर पड़ा है। इस नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा होता है और इस नक्षत्र के चारों चरण मकर राशि में होते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति में सेवाभाव होता है, ये माता-पिता के भक्त होते हैं। इनके व्यवहार में सभ्यता और सदाचार झलकता है। श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने कर्तव्य को जिम्मेवारी पूर्वक निभाते हैं। ये विश्वास के पात्र समझे जाते हैं, क्योंकि अनजाने में भी ये किसी के विश्वास को तोड़ना नहीं चाहते। ये ईश्वर में आस्था रखते हैं और सत्य की तलाश में रहते हैं।

पूजा-पाठ एवं अध्यात्म के क्षेत्र में ये काफी नाम अर्जित करते हैं। ये इस माध्यम से काफी धन भी प्राप्त करते हैं। इनके चरित्र की विशेषता होती है कि ये सोच समझकर कोई भी कार्य करते हैं इसलिए सामान्यत: कोई ग़लत कार्य नहीं करते हैं। इस मास में जो लोग पैदा होते हैं उनकी मानसिक क्षमता अच्छी होती है, ये पढ़ाई में अच्छे होते हैं। ये अपनी बौद्धिक क्षमता से योजना का निर्माण एवं उनका कार्यान्वयन करना बखूबी जानते हैं। इनके साथी एक कमी यह रहती है कि छुपे हुए शत्रुओं के भय से कई योजनाओं को इन्हें बीच में ही छोड़ना पड़ता है। इनके अंदर सहनशीलता व स्वाभिमान भरा रहता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले साहसी और बहादुर होते हैं। ये किसी बात को मन में नहीं रखते, जो भी इन्हें महसूस होता है या इन्हें उचित लगता है मुंह पर बोलते हैं यानी ये स्पष्टवादी होते हैं।

आजीविका की दृष्टि से इस नक्षत्र के जातक के लिए नौकरी और व्यवसाय दोनों ही लाभप्रद और उपयुक्त होता है। ये इन दोनों में से जिस क्षेत्र में होते हैं उनमें तरक्की और कामयाबी हासिल करते हैं। इन्हें चिकित्सा, तकनीक, शिक्षा एवं कला आदि में काफी रूचि रहती है। इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है क्योंकि ये अनावश्यक खर्च नहीं करते हैं। इनके इस स्वभाव के कारण लोग इन्हें कंजूस भी समझने लगते हैं। अपने नेक एवं सरल स्वभाव के कारण समाज में इनका मान सम्मान काफी होता है और ये आदर पात्र करते हैं। श्रवण नक्षत्र के अंतर्गत जन्म लेने वाले जातक अतिसार, दस्त, देह पीड़ा, ज्वर से कष्ट, दाद, खाज, खुजली जैसे चर्मरोग कुष्ठ, पित्त, मवाद बनना, संधिवात, क्षयरोग से ग्रस्त रहते हैं। उपाय के तौर पर इन्हें अपामार्ग की जड़ भुजा अवश्य बांधनी चाहिए।

ज्योतिष सेवा केंद्र
पंडित अतुल शास्त्री
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