भदोही : ज्ञानपुर स्थित मुखर्जी पार्क में चल रही श्रीराम कथा में अयोध्या के संत स्वामी निर्मल शरण महाराज ने बताया कि श्री राम के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए कि संतान को माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। श्रीराम कथा त्याग की कथा है भगवान राम एक सौतेली मां कैकेयी के कहने पर वन जाने को तैयार हो गए। वहीं लक्ष्मण और सुमित्रा जी का त्याग देखें लक्ष्मण जी माता सुमित्रा से विदा लेने गए तो माता सुमित्रा ने एक बार भी नहीं रोका बल्कि तरकस और धनुष हाथ में दिया और कहा बेटा यदि तूने मेरी छाती का दूध पिया है तो राम की रक्षा करते अपने प्राण गंवा देना पर राम पर संकट नहीं आना चाहिए। वही भैया भरत का त्याग देखें अगर राम ने भैया भरत के लिए राजगद्दी का त्याग किया तो भैया भरत ने भी उस राजगद्दी को स्वीकार नहीं किया। महाराज जी ने बतलाया जिस समय राम का राज्याभिषेक हुआ तो भैया भरत राम जी के पीछे छत्र लेकर खड़े थे किसी ने भैया भरत से कहा भरत पीछे क्यों खड़े हो बगल खड़े हो जाओ तो भरत जी रोने लगे और बोले मेरे कारण प्रभु को बन जाना पड़ा मेरे ही कारण पिताजी चल बसे और मेरे ही कारण तीनों माताएं विधवा हुई मुझ में सामर्थ्य नहीं है की मैं प्रभु के बगल खड़ा हो सकूं। फिर राम जी से किसी ने कहा भरत को बगल में खड़ा कर लिए होते पीछे क्यों खड़ा कर दिए रामजी रोने लगे और बोले भरत के त्याग के सामने मेरा त्याग कुछ भी नहीं है मैं भरत से हार गया हूं और हारा हुआ व्यक्ति पीठ दिखा देता है आज यदि मैं राजा हूं तो भरत की छत्रछाया के नीचे हूं नहीं तो मैं राजा नहीं बन सकता था। महाराज जी ने कहा की श्रीरामचरितमानस के हर पात्र का त्याग ऊंचा है श्री राम की कथा को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए तो जीवन दिव्य हो जाएगा। इस मौके पर मनोज तिवारी अनिल पांडे संतोष जायसवाल विश्वम्भर उपाध्याय(जादूगर) डॉ विनोद सिंह इत्यादि भक्त उपस्थित रहे।