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रूहे अदब के तत्वावधान में शायर प्रमोद कुमार कुश “तनहा” का हुआ एकल काव्यपाठ

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मुंबई। आल इंडिया हिन्दी उर्दू एकता ट्रस्ट (रजि) साहित्यिक मंच “रूहे अदब” के तत्वावधान में मुंबई के सुप्रसिद्ध गीत गज़लकार प्रमोद कुमार कुश “तनहा” का दिनांक 1 सितम्बर 2020 मंगलवार सायं एकल काव्यपाठ हुआ।जिसका आयोजन जनाब फरीद अहमद “फ़रीद” (राष्ट्रीय अध्यक्ष) एंव संयोजन कृष्णा शर्मा “दामिनी” ने किया।प्रमोद जी दिल्ली से आय टी करने के पश्चात मुंबई आये,आय टी सेक्टर मे सर्विस करते हुए साहित्य श्रेत्र में लेखन कार्य करते हुए अच्छा मुकाम हासिल किया। वे वालीऊड गायक के साथ फिल्म इंडस्ट्री मे लेखक व गीतकार भी हैं। म्युजिक कंपोज़र एसोसिएशन के सदस्य भी हैं। प्रमोद जी गीतकार के साथ-साथ अच्छे गज़लकार है,जिन्होंने एकल काव्यपाठ में फेसबुक पर बहुत लाइव,व्यू इकट्ठा किया। कुश जी की कुछ गज़लों की चंद लाइनें इस प्रकार रही हैं।

(1)
आप इक बार _फिर मिले होते
दूर _ शिकवे भी _ हो गये होते
मोड़ के उस तरफ़ उजाला था
मोड़ तक _ साथ तो चले होते

(2)
कहेंगे सच को सच तो साथ छोड़ेंगे सभी अपने
रहेंगे चुप _ तो पलकों के तले _ कुहराम देखेंगे ।

(3)
सब की क़िस्मत में फूलों के रंग नहीं होते
कांटों से भी दामन भर के जीना पड़ता है।

(4)
हमने दवा तो की मगर रिश्ते न बच सके
अब दूरियां निभा सकें आओ दुआ करें !!

(5) पेशहैएकअलगमिज़ाजकीग़ज़ल—–

आरज़ू _कुछ _ लुटी लुटी सी है
ज़िंदगी आजकल _ रुकी सी है।

आपसे बात _ कम हुई जब से
हर तरफ़ कुछ
कमी कमी सी है।

आजकल हर घड़ी _ ख़यालों में
एक सूरत _ भली _ भली सी है।

उनकी आंखों में _ बेरुख़ी ठहरी
मेरी आंखों में _ कुछ नमी सी है।

वो चले _ छोड़कर _हमें ‘तनहा’
रात भर _ जान पे _ बनी सी है।

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