समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित करते रहने वाली सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था ‘विकलांग की पुकार’ लाकडाउन के दौरान मालाड और कांदिवली में सराहनीय कार्य करने के लिए समाजसेवी सोहेल रिजवी को सम्मानित करेगी। सोहेल रिजवी ने क्षेत्र में कोरोना से हुई मौतों के दौरान कब्रिस्तान के मना करने पर सरकारी सहायता ले उन शवों के दफनाने में सहायता की। ऐसे माहौल में जबकि लोग अपनों की परछाई से भी बचने की कोशिश कर रहे हैं सोहेल रिजवी जैसे समाजसेवी मानवता और देश के लिए एक मिसाल बन कर सामने आ रहे हैं।
कौशांबी जिले के करारी कस्बे के मूलनिवासी रिजवी के जीवन का ज्यादातर हिस्सा मालाड पश्चिम के मालवणी क्षेत्र में बीता है। बचपन से ही उन्हें समाज सेवा की धुन सवार है। स्थाई तौर पर समाज सेवा का कार्य करने के लिए उन्होंने बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की नौकरी छोड़ दी। उनके लिए सामाजिक फिरके कोई महत्व नहीं रखते और वे सभी धर्मों के हर व्यक्ति के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उनके जीवन का मूल उद्देश्य मानव मात्र और जीव मात्र की सेवा ही है। वे समय-समय पर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों के लिए आवाज उठाते रहते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
सन 2004 में अपनी स्थापना से ही विकलांग की पुकार की यह कोशिश रही है कि जमीनी स्तर पर सामाजिक, सांस्कृतिक और सांप्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने हेतु सेवा कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाए। अपने इस मंगलकारी अभियान के तहत संस्था समय-समय पर समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों को सम्मानित करती रहती है। इसी कड़ी में लॉकडाउन और आइसोलेशन समाप्त होने के बाद सोहेल रिजवी को सम्मानित करेगी।