Home जौनपुर कही सड़कें सुनसान तो कही विरोध भरे नारों का शोर

कही सड़कें सुनसान तो कही विरोध भरे नारों का शोर

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एससीएसटी मुद्दे पर जहा दो अप्रैल को दलितों ने ‘भारत बंद’ किया था तो वहीं आज छः सितंबर को सवर्णों ने भारत बंद कर दिया। एससीएसटी मुद्दे को को लेकर मोदी सरकार पूरी तरह घिर गई है। क्योंकि दोनों समुदाय एक ही मुद्दे पर विपरित मांग कर रहे हैं।

मुम्बई के आजाद मैदान मे सुबह से ही सवर्ण समाज का जमावडा लगा, इन्टरनेशनल प्रेस कम्युनिटी नामक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष परिमन्दर पाण्डेय द्वारा उनके संस्था के बैनर तले तमाम सवर्ण समाज के संगठन संचालकों ने बढ़ चढ़ के भाग लिया। जिसमें राघवेंद्र सेवा मंच के संस्थापक सुरेश मिश्र, ब्राह्मण विकास सेवा संघ के संचालक अरूण दूबे,युवा समाज सेवी विनोद दूबे,पोइसर जनसेवा समिति के संचालक संजय तिवारी,ब्रह्मदेव समाज के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष प्रताप पाण्डेय समेत अधिक से अधिक लोग सामिल थे।

इलाहाबाद मे अखिल ब्राह्मण विकास प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश रामयज्ञ पाण्डेय द्वारा निकाली गयी रैली मे सैकड़ो लोग सामिल होकर सड़कों पर उतर आऐ।

जौनपुर मे प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष व अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के प्रदेश सचिव अजय मिश्रा के संचालन मे नईगंज से मछलिशहर तक भारी संख्या मे बाईक रैली निकाल विरोध किया।

कई जगहों पर लगा धारा 144

आपको बता दें की इस बिच मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में कई जगह धरा १४४ लगाई थी जिससे कोई अप्रिय घटना न हो।

किसके लिए मचा है,देश भर मे बवाल

सवर्णं चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दुबारा लागू किया जाए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को सात दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए।लेकिन इसको लेकर दो अप्रैल को दलितों ने ‘भारत बंद’ कर इसका पुरजोर विरोध किया था।इसके बाद भाजपा सरकार अध्यादेश लाई और फिर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम में संसधोन किया गया। सवर्णो की मांग केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम में संसोधन वापस लेने भर का नहीं है बल्कि इनकी दुसरी बड़ी मांग यह है कि आरक्षण जाति के आधार पर देने के बजाय आर्थिक आधार पर दिया जाए।

क्या है यह एससीएसटी एक्ट

सरकारी आकड़ो का माने तो लंबे समय से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर अत्याचार होता आ रहा है, लेकिन मौजूदा हाल में सुधार हो रहा है। साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए आरक्षण दिया गया। तो उस समय दलितों पर होने वाले अत्याचार और भेदभाव को रोकने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम, 1989 बनाया गया था। ये खासकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए है। जिसमे समय समय पर संसोधन किये गये।अबकी बार संसोधित एक्ट मे गैर जमानती गिरफ्तारी को लेकर सवर्ण नाखुश है।

 

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