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बेटा तो केवल एक कुल, जबकि बेटियां दो कुल को रोशन करती है- निर्मल शरण महराज।

हमार पूर्वांचल
निर्मल शरण महराज

भदोही: ज्ञानपुर स्थित मुखर्जी पार्क में चल रही श्री राम कथा में अयोध्या से पधारे स्वामी निर्मल शरण महाराज ने मंगलवार को अपने संगीतमय प्रवचन में कहा कि बेटी के विवाह में सब कुछ हंसी-खुशी से बीतता है लेकिन एक पल ऐसा भी आता है जब सबकी आंखें नम हो जाती हैं, वह है बेटी की विदाई का पल। भला दुख क्यों नहीं होगा? जिस बेटी को पाल-पोस कर माता-पिता बड़ा करते हैं वही बेटी पल भर में पराई हो जाती है। बेटी की विदाई में मां को तो कष्ट होता ही है लेकिन सबसे अधिक कष्ट बेटी के बाप को होता है। क्योंकि बेटी बाप के हृदय पर शासन करती है।

महराज ने कहा कि बेटा स्वार्थी हो सकता है पर बेटियां स्वार्थी नहीं होती बेटा सेवा करता है तो वहां उसका स्वार्थ होता है कि बाप के मरने के बाद सारी संपत्ति मेरी है, लेकिन बेटियां निस्वार्थ भाव से सेवा करती हैं। उन्हें यह लालच नहीं है के पिताजी दो चार लाख रुपए या दो चार कमरे मुझे दे देंगे। बेटी दिन रात भगवान से प्रार्थना करती है मेरे माता-पिता मेरे भैया-भाभी खुशहाल रहे। बेटे तो संपत्ति का बंटवारा कर लेते हैं लेकिन विपत्ति का बंटवारा भारत की बेटियां करतीं हैं। बेटा पास रह कर के भी मां-बाप का हाल-चाल नहीं पूछता लेकिन बेटी दूर रहकर भी मां-बाप का हालचाल लेती रहती है। बेटे तो केवल एक कुल का नाम रोशन करते है जबकि बेटियां दो कुल का। स्वामी जी ने कहा जिस समय सीता जी की डोली महल के बाहर निकली जनक जी ने सीता को डोली में देखा तो फूट-फूटकर रो पड़े

“सीय बिलोकि धीरता भागी।रहे कहावत परम बिरागी।।”

सीता जी की विदाई में सभी जनकपुर वासी रो पड़े। किसी मां-बाप को नहीं पता कि जिस बेटी को विदा कर रहे हैं उस बेटी के साथ ससुराल में क्या होगा? जनक जी को भी नहीं पता कि जिस बेटी को आज विदा कर रहे हैं उस बेटी से मुलाकात चित्रकूट के जंगल में होगी। जब चित्रकूट के जंगल में महाराज जनक ने सीता को पत्थर पर बैठकर झरने का पानी पीते हुए देखा तो महाराज जनक रो पड़े। सोचते हैं जिस बेटी के पांव में फूल की पंखुड़ियां चुभ जाती थी वह बेटी इस कंकरीली पथरीली जमीन पर नंगे पांव कैसे चल रही है? जनक जी ने सीता को कहा
“पुत्रि पवित्र किए कुल दोऊ”
बेटी तूने दोनों कुल को पवित्र कर दिया। कहा कि बेटियां आज समाज के हर क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है। अत: माता-पिता या परिवार वाले बेटियों को बेटे से कम न आंके सदा उनको आगे बढने में उनका मनोबल बढायें।
इस मौके पर हीरालाल मौर्य, राकेश दुबे, ब्रह्मजीत शुक्ला, संतोष उमरवैश्य समेत काफी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।

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