Home भदोही सोनभद्र : बरहमोरी काण्ड में नक्सली कनेक्शन

सोनभद्र : बरहमोरी काण्ड में नक्सली कनेक्शन

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hamara purvanchal
ग्रामीणों की दबंगई घटना की वास्तविक स्थिति बयां करती यह तस्वीर

बुधवार को सोनभद्र जनपद के बरहमोरी साइड पर हुये बवाल में 15 नामजद सहित 50 अज्ञात लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। है। इस घटना में कुल नौ लोग घायल हो गए थे और आठ वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। इस घटना को लेकर तमाम तरह की चर्चायें सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे रास्ते को लेकर हुये सामान्य विवाद परिणाम बता रहे हैं, किन्तु जिस तरह इस घटना को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है। उससे यह साफ जाहिर होता है कि इसमें कहीं न कहीं नक्सली कनेक्शन जरूर है।

गौरतलब हो कि बालू साइड के इंचार्ज रूकमानंद सिंह निवासी जमुनीपुर थाना भदोही की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। तहरीर में कहा गया है कि घटना के एक दिन पूर्व कुछ लोग कार्यालय में पहुंचे और डेढ़ लाख रूपये की मांग किये। साथ ही धमकी दिये कि यदि काम करना है तो पैसा देना ही होगा। लंकिन पुलिस को फोन करने पर भाग निकले। दूसरे दिन यानि बुधवार को 40—50 की संख्या में साइड पर पहुंचे जहां तोड़ फोड़ व आगजनी के बाद बैग में रखे 9 लाख रूपये भी लूट लिये। पुलिस मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई में जुटी है। मौके पर कई थानों की पुुलिस व अधिकारी अभी जुटे हुये हैं।

गौरतलब हो कि पुलिस मुकदमा दर्ज करने के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी में लग गई है। बुधवार की रात में ही रोगही गांव के करीब आधा दर्जन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दिया। पुलिस इस तथ्य को जुटाने में जुटी है कि आखिर इतना बड़ा विवाद हुआ क्यों। क्या वास्तव में विवाद का मुख्य कारण सड़क को लेकर विवाद ही था। सूत्रों की मानें तो रास्ते का विवाद एक बहाना था जबकि वहां पर जबसे बालू खनन शुरू हुआ है तभी से आसपास के लोगों द्वारा अड़चने डाली जाती रही हैं। नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में वैसे भी व्यापारियों का काम करना कठिन होता है।

सूत्रों की मानें तो इस बालू साइड पर पिछले कई महीनों से 90 लोग ऐसे थे जो बिना काम किये ही हम महीने एक बंधी बधाई रकम लेते थे। बताया जाता है कि हर महीने दी जाने वाली रकम लाखों रूपये में होती थी। यहीं नहीं किसी न किसी बहाने से ग्रामीण बालू ठेकेदार को धमकी देकर रकम वसूली करते रहते थे। बताते हैं कि किसी वाहन के नीचे यदि कोई मुर्गा भी दबकर मर गया तो कम से कम 5 हजार रूपये की वसूली की जाती थी। इस तरह पैसे ऐंठने के लिये ग्रामीण अक्सर वाहनों के नीचे मुर्गा फेंक देते थे।

बताया जाता है कि ग्रामीणों की इस दबंगई से त्रस्त साइड इंचार्ज द्वारा पैसा देना बंद कर दिया गया था। जिसके कारण एक साजिश के तहत योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया। मौके पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी द्वारा बताया गया कि घटना के दिन जो मंजर था वह देखकर किसी की भी रूह कांप जाये। घटना को सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया था। जिस तरह से पिछले काफी दिनों से ग्रामीणों द्वारा बालू के ठेके पर अवैध वसूली की जा रही थी और जिस तरह इस घटना को अंजाम दिया गया उससे साफ लगता है कि कहीं न कहीं इसमें नक्सली हाथ अवश्य है।

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