Home मुंबई छंद-साहित्य, ऋषि वैज्ञानिक एवं मिडिया-समाज पर हुई विशेष परिचर्चा

छंद-साहित्य, ऋषि वैज्ञानिक एवं मिडिया-समाज पर हुई विशेष परिचर्चा

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ठाणे। भारत जैसे देश में वैश्विक महामारी कोरोना के भयंकर रूप को देख सभी त्राहि-त्राहि करने लगे, ऐसे समय में साहित्यकारों ने घर बैठे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सहारा लेते हुए “नव साहित्य कुंभ” साहित्यिक संस्था के बैनर तले विगत कई महिनों से ऐतिहासिक साहित्यिक गोष्ठियां और साहित्य से संबंधित विज्ञान, मिडिया पर भी परिचर्चा का आन-लाइन आयोजन किया गया। संस्थापक रामस्वरूप प्रीतम भिनगई (श्रावस्ती), अध्यक्ष अनिल कुमार राही (मुंबई),संयोजक संजय द्विवेदी(कल्याण- महाराष्ट्र), सचिव धीरेन्द्र वर्मा धीर(लखीमपुर खीरी),संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी (छत्तीसगढ़) एवं मीडिया प्रभारी विनय शर्मा “दीप” (ठाणे-महाराष्ट्र) के आयोजन, संयोजन में साहित्यकारों को बहुत कुछ जानने, सुनने, सिखने को मिल रहा है। कवि गोष्ठियों के अतिरिक्त प्रथम परिचर्चा दिनांक 6 अक्तूबर 2020 मंगलवार संजय द्विवेदी के संचालन में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डाॅक्टर दिनेश सिंह (मुंबई) द्वारा ब्याख्यान “भारतीय ऋषि वैज्ञानिक” पर दिया गया।

उक्त विषय पर टिप्पणी करते हुए सिंह ने कहा कि आज वैज्ञानिक जो भी रिसर्च कर रहें हैं, वेदों, पुराणों ने पहले सर्च कर लिया था।उस समय सर्च के गुरू अर्थात वैज्ञानिक, सार्जन, विशेषज्ञ भगवान धनवंतरि थे। द्वितीय परिचर्चा दिनांक 13 अक्तूबर 2020 मंगलवार, मंच संचालक संजय द्विवेदी के सानिध्य में भभुआ बिहार निवासी वरिष्ठ साहित्यकार लोकनाथ तिवारी “अनगढ़” द्वारा छंद और साहित्य पर व्याख्यान हुआ। अनगढ़ ने कहा छंद बगैर साहित्य अधूरा है।उन्होंने हर विधाओं को छंदो द्वारा परिभाषित करते हुए श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।

तृतीय परिचर्चा दिनांक 20 अक्तूबर 2020 मंगलवार संस्था अध्यक्ष अनिल कुमार राही के संचालन में वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक,पत्रकार नामदार राही (सुल्तानपुर) के द्वारा साहित्य से विशेष संबंध रखने योग्य विषय “मिडिया और समाज” पर सुन्दर व्याख्यान संपन्न हुआ। राही जी ने कहा समाज और मिडिया एक दूसरे के पूरक है, एक के बिना दूसरा अधूरा है पर साथ में साहित्य अहंम भूमिका निभाती है,जिससे दोनो के संबंधों में अपार प्रेम प्रस्फुटित होता दिखाई देता है। नव साहित्य कुंभ के फेसबुक पटल पर सभी साहित्यकारों को संस्था द्वारा प्रत्येक परिचर्चा अथवा काव्यगोष्ठी उपरांत सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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