गोपीगंज रामलीला मैदान में बघेल परिवार के नेतृत्व में चल रहे रामलीला में शनिवार को शाम सीता शपथ की लीला सम्पन्न हुई। बताते चले यह मेला सिर्फ महिलाओ के लिए आरक्षित रहता है। सीता शपथ को देखने के लिए पूरा रामलीला मैदान महिलाओ के भीड़ से खचाखच भरा रहा वही मेले में लगे झूले का भी महिलाये आनंद लेती नजर आई।
वही सुरक्षा के मद्देनजर कोतवाल शेषधर पांडेय चौकी प्रभारी सुशील पांडेय मैदान में जाने वाले सभी रास्तो पर पुलिस के जवानों को लगाकर मेले के अंदर सुरक्षा की कमान संभाले रखे। माता सीता के शपथ लेते समय की लीला को देखने के लिए महिलाओ की उत्सुकता बनी रही। वही सीता शपथ के बारे में रामायण की कथा के अनुसार भगवान श्री राम के चौदह वर्ष के वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ थे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लंकापति रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था और करीब दो साल तक माता सीता रावण के कैद में लंका रही। रावण की हत्या के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने माता सीता को मुक्त कराया था लेकिन उन्हें अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा और ये परीक्षा खुद भगवान श्री राम ने ली। प्रजा का मान रखने के लिए श्रीराम ने ली सीता की अग्निपरीक्षा।
लंबे समय तक रावण की कैद में रहने के बाद माता सीता जब श्रीराम के साथ आयोध्या लौटीं तब उनकी पवित्रता को लेकर समाज के एक वर्ग में संदेह होने लगा था लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि माता सीता पहले की तरह ही पवित्र और सती हैं। इस बात की पुष्टि व आयोध्या की रानी के रुप में स्वीकार करने से पहले सीता को अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता को सिद्ध करने के लिए कहा जाता है। जिसके बाद अपनी प्रजा का मान रखने के लिए खुद भगवान राम सीता की अग्निपरीक्षा लेते हैं।
इसके बाद एक धोबी द्वारा फिर ये कहा जाता है कि सीता को आयोध्या की रानी बनाना सही नहीं है क्योंकि वो काफी समय तक रावण की लंका में रहकर आई हैं। लेकिन श्रीराम सीता जी की फिर से अग्निपरीक्षा नहीं लेना चाहते थे परंतु एक राजा होने के नाते उन्हें अपनी प्रजा की बात को ध्यान में रखते हुए फिर से अग्निपरीक्षा का फैसला लेना पड़ता है।
विदित है कि भारतीय समाज में सीता को एक पवित्र और आदर्श नारी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन समाज में यह धारणा भी प्रचलित है कि समाज द्वारा उठाए जानेवाले सवालों के चलते और अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए भगवान राम ने माता सीता का त्याग कर दिया था। इस मौके पर अजीत सिंह बघेल, उमेश सिंह बघेल, कौशलेंद्र बघेल, अखिलेन्द्र बघेल, जितेंद्र गुप्ता, संतोष बघेल, अनिल शुक्ला, सीताराम यादव, नवीन मिश्रा, राजू शुक्ला, नरउरी गुरु, संजय यादव, गौरव अग्रवाल रहे।