Home भदोही काश! बाबा अंबेडकर की तरह स्वामी विवेकानन्द भी वोटबैंक होते

काश! बाबा अंबेडकर की तरह स्वामी विवेकानन्द भी वोटबैंक होते

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इस देश में मूर्तियां उन्हीं की लगनी चाहिये जिनके नाम पर वोट मिलता हो। ऐसे महापुरूषों के मूर्तियों की इस देश में कोई जरूरत नहीं है, जिन्हें चट्टी चौराहों पर लगाकर लोग भूल जायें और उनके अपमान करने का लोगों को मौका भी मिले। आठ माह पहले भदोही जिले के विवेकानन्द चौराहे पर तोड़ी गयी स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा शायद लोगों को यहीं संदेश दे रही है।

पिछले आठ माह पहले यहीं स्थापित थी स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा

जी हां! आठ महीने के बीतने के बाद भी इस चौराहे से कितनी बाद भदोही के बुद्धिजीवी, विधायक, सांसद और जिले के आला अधिकारी इस रास्ते से गुजरें होंगे लेकिन किसी का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया। बता दें कि कोतवाली क्षेत्र के नईबाजार रोड पर स्थापित स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा अक्टूबर 2017 में एक दलित युवक ने तोड़ दी थी। प्रतिमा तोड दिये जाने की सूचना पर आस पास सहित भारी संख्या में पहुंचे हिन्दुआें ने सडक जाम कर नई प्रतिमा स्थापित कराने व आरोपियो को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग करने लगे।

“यहीं प्रतिमा यदि कहीं अंबेडकर की होती तो बवाल मच गया होता। प्रशासन भी 24 घंटे के अंदर प्रतिमा लगवा देता”

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी आशीष कुमार ने नई प्रतिमा स्थापित कराने का आश्वासन देकर जाम समाप्त कराया। इस दौरान भाजपा के ही कई स्थानीय नेताओं ने बीच बचाव कर मामला शान्त कराया था। कई हिन्दू संगठनों ने भी उस समय अपनी राजनीति चमकाने का भरपूर प्रयास किया किन्तु धीरे धीरे सब शान्त होता गया। न तो प्रशासन ने कभी प्रतिमा लगवाने की पहल की और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने ही मामले में दखअंदाजी की। राजनीति करने वाले चुपाप अपने घर बैठ गये और जिस जगह पर प्रतिमा लगी थी वह जगह आज भी उजाड़ पड़ा हुआ है।
अफसोस होता है कि जिस अप्रतिम संन्यासी ने अमेरिका में जाकर पूरे विश्व पटल पर हिन्दू धर्म का परचम लहराया आज उस संन्यासी का सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहीं प्रतिमा यदि कहीं अंबेडकर की होती तो बवाल मच गया होता। प्रशासन भी 24 घंटे के अंदर प्रतिमा लगवा देता किन्तु स्वामी विवेकानन्द का नाम किसी भी वोटबैंक से नहीं जुड़ता इसलिये किसी ने भी इस तरफ ध्यान देना उचित नहीं समझा।

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