Home अवर्गीकृत किसी भी नियम को लागू कराने में सख्ती व पारदर्शिता जरूरी।

किसी भी नियम को लागू कराने में सख्ती व पारदर्शिता जरूरी।

उत्तर प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के सरकार नित नये परिवर्तन करती है लेकिन लोग है कि सरकार की बातों पर अमल नही करते है। और मनमानी करते है। जब सरकार बनी तभी कुछ फैसले आए लेकिन उनपर कितना अमल हुआ यह सब जानते है। जिसमें कालेज में लडकियों द्वारा जिंस-टाप पहनने पर रोक, सरकारी कर्मियों द्वारा धुम्रपान पर रोक, सरकारी कर्मियों के बच्चों का सरकारी विद्यालय में नामांकन, ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया पर चैट करने पर रोक समेत कई आदेश दिये गये लेकिन सब हवा हवाई साबित हुए। और लोग खुलेआम मनमानी करते नजर आते है। जबकि अधिकारी है कि ध्यान नही देते। इसकी वजह यह है कि अधिकारी भी अपने कार्य के दौरान चैटिंग करते नजर आते है। चाहे व कार्यालय हो या मीटिंग।

अब उत्तर प्रदेश सरकार कालेज और विश्वविद्यालयों में मोबाइल पर रोक लगाने जा रही है। जहां विद्यार्थियों के साथ साथ अध्यापक भी मोबाइल का प्रयोग नही कर सकते है। मालूम हो कि सरकार ने यह आदेश मंत्रियों और अधिकारियों को भी दिया था लेकिन यह केवल हवाई ही रह गया। आदेश के कुछ दिन तक तो असर दिखता है लेकिन धीरे धीरे लापरवाही की भेंट चढ जाता है। सरकार यदि सच में किसी भी नियम को लागू करने में इच्छुक है तो सख्ती से पेश आना होगा। क्योकि किसी कार्यालय में यदि वरिष्ठ अधिकारी या कर्मी बनाए गये नियम को नही मानता तो जाहिर सी बात है। उसके मातहत भी नियम को नही मानेंगे।

कालेज में शिक्षणकाल के दौरान मोबाइल के प्रयोग पर रोक बहुत ही अच्छा रहेगा। क्योकि कम से कम लोग अध्ययन व अध्यापन के समय तो मोबाइल के झंझावातों से बाहर रहेंगें जिससे बेशक शिक्षा के स्तर में सुधार होगा। तथा कुछ मामलों में अपराध पर भी नियन्त्रण होगा। क्योकि जब लोगों के हाथ में मोबाइल रहता है तो लोग उसका प्रयोग करने से बाज नही आते है। इस रोक से उन लोगों को परेशानी हो सकती है जो कालेज के समय मनमानी करते है। और पढाई के नाम पर कालेज और परिजनों को गुमराह करते है। वैसे सरकार का यह फैसला लागू होता है तो इसमें सख्ती बरती जाए। जिससे इसके अच्छे परिणाम समाज को देखने को मिले न कि बाकी नियमों की तरह यह आदेश भी लापरवाही की भेंट चढकर हवाहवाई साबित हो।

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