सुरत। गुजरात में मकरसंक्रांति का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से “उत्तरायण” के नाम से मनाया जाता है।
उत्तरायण में पतंगबाजी
गुजरात में उत्तरायण पर्व पर पतंग बाजी का अपना एक अलग महत्व है। लोग बहुत ही हर्शोल्लाष के साथ पतंग बाजी का आनन्द उठाते हैं। जैसे ही प्रतिद्वंदी की पतंग कटती है तो सभी प्रसन्नता में झूम उठते है, और आनंदित हो कर कहते हैं “काय्पो छे”
होता है हादसे का डर
जैसे ही काय्पो छे की आवाज़ सुनाई पड़ती है, वहीं से एक शंका का उदय हो जाता है। क्योंकि कटी हुई पतंग के साथ मान्जे (डोरी) का हिस्सा लगा रहता है। जो राह चलते किसी को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह मान्जा (डोरी) बहुत ही मजबूत होता है और कुछ एक को तो मजबूत बनाने के लिए काँच की परत लगी होती है।
अक्सर यह मान्जा (डोरी) बाईक सवार के गले में फस जाता है, और जब तक बाईक सवार कुछ समझ पाए तब हादसा हो जाता है। कभी कभी हादसा इतना भयावह होता है कि जान माल का भी नुकसान हो जाता है।
सुरक्षा के लिए पुलिस के कदम
इसी हादसे को टालने के लिए सुरत पुलिस ने एक आदेश जारी किया है जिसके अनुसार तारिख 14/01/2019 की सुबह 06:00 बजे से तारिख 15/01/2019 की रात 10:00 बजे तक सुरत जिले में जितने भी फ़्लाई ओवर ब्रिज है सब पर बाईक का आना जाना प्रतिबंधित है।
आदेश की अवहेलना करने पर भारतीय दण्ड संहिता फौजदारी अधिनियम 1860 की कलम 188 और गुजरात पुलिस अधिनियम 1951की कलम 131 के तहत कठोर कार्यवाही की जाएगी।
हमार पूर्वांचल की अपील
- पुलिस की गाईड लाइन का पालन करें।
- संयमित चलें।
- हेल्मेट का प्रयोग अवश्य करें।
- गले में मफलर या स्कार्फ लपेट के रखें।
- सावधानी ही सुरक्षा है।
सभी पाठकगण से विशेष अनुरोध है कि, “दुर्घटना से देर भली”