भदोही विधानसभा क्षेत्र से एकमात्र ब्राह्मण चेहरा हैं सुशील दूबे, पारिवारिक पृष्टभूमि से निखरेगी भाजपा की छवि
भदोही। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही ब्लाक प्रमुख चुनाव की सरगर्मी भी जिले में बढ़ गयी है। मैदान में उतरे प्रत्याशी क्षेत्र पंचायत सदस्यों को अपने-अपने पक्ष में जुटाने के लिये रात दिन मेहनत कर रहे हैं। आमतौर पर ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर उसी का कब्जा होता है जिसकी प्रदेश में सत्ता होती है। फिर भी सत्तारूढ़ दल उसी को प्रत्याशी के रूप में उतारना चाहता हैं जो प्रभावशाली हो और जिसकी छवि भी साफ सूथरी हो जो वोटरों पर सकारात्मक असर डाले।
गौरतलब हो कि आगामी वर्ष में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में सत्तारूढ दल भाजपा ऐसे प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना चाहती है। जिससे वोटरों के बीच अच्छा संदेश जाये और उसका प्रभाव आने वाले विधानसभा चुनाव में पड़े।
बात करते हैं भदोही ब्लाक की। यहां पर भाजपा से टिकट दावेदारी के लिये तीन नाम सामने आये हैं। जिसमें निवर्तमान ब्लाक प्रमुख प्रशांत सिंह चिट्टू की पत्नी ने भाजपा से टिकट के लिये आवेदन किया है। लेकिन प्रशांत सिंह के साथ विडम्बना यह है कि पूर्व के चुनाव में रात दिन मेहनत कर उन्हें ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर कब्जा दिलाने वाले भी उनका साथ छोड़ दिये हैं। हालांकि यहां पर साथ छोड़ने के कारणों का जिक्र करना उचित तो नहीं है। लेकिन लोगों में यह चर्चा आम है कि यदि उनके करीबी ही उनका साथ छोड़कर दूसरे दावेदार के साथ टहल रहे हैं तो निश्चित ही अपनों को साथ लेकर चलने में श्री सिंह नाकामयाब रहे हैं।
दूसरे प्रत्याशी भदोही ब्लाक के दक्षिणी छोर के गांव के हैं। बताया जाता है कि उक्त प्रत्याशी जिस गांव के हैं वह गांव भदोही विधानसभा नहीं बल्कि औराई विधानसभा में आता है। यदि उन्हें भाजपा उतारती है तो उसका प्रतिकूल असर विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। चर्चा यह भी है कि 2017 के चुनाव में भदोही विधानसभा के पूर्वी क्षेत्र में भाजपा को अपेक्षित वोट नहीं मिले थे। इसलिये विधानसभा के पूर्वी क्षेत्र को मजबूत करना भाजपा की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इसके लिये भदोही विधानसभा से एकमात्र ब्राह्मण दावेदार सुशील मिश्रा ही नजर आ रहे हैं।
बता दें कि सुशील कुमार दूबे के पिता पंचदेव दूबे भारतीय इंटर कालेज परसीपुर में प्रधान लिपिक रहे हैं। उनके भाई स्व. वामदेव दूबे भारतीय सेना में मेजर रहे हैं। दूसरे भाई अशोक कुमार दूबे सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं। तीसरे भाई प्रमोद दूबे भारतीय सेना से सेवानिवृत हैं। वहीं भतीजा सुनील कुमार दूबे भारतीय सेना में जेसीओ हैं। दूसरे भतीजे भारतीय स्टेट बैंक में प्रबंधक हैं।
औराई विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जिस दावेदार ने भदोही ब्लाक प्रमुख पद के लिये आवेदन किया है, उनके बारे में बताया जाता है कि वे भाजपा के एक कद्ावर नेता जो भदोही से पूर्व में चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके यहां काम करते थे। उसी संबंध के चलते रास्ता बनाकर ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं।
हालांकि भाजपा संगठन के कुछ पदाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सुशील दूबे की पारिवारिक पृष्ठभूमि एक शिक्षित परिवार की रही है, जो शिक्षा विभाग और सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं और वर्तमान में दे भी रहे हैं। ऐसे में संगठन के अधिकतर लोगों का यहीं मानना है कि यदि सुशील दूबे को भाजपा अपना प्रत्याशी बनाती है तो उसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में सकारात्मक रूप से पड़ेगा। भाजपा विधानसभा के पूर्वी क्षेत्र में मजबूत होगी। कहा जा रहा है श्री दूबे के परिवार की छवि को विधानसभा चुनाव में यह कहकर भुना सकती है कि पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को तरजीह दी जिसका परिवार देश व समाज की सेवा के लिये अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
हालांकि अभी तक संगठन किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाया है किन्तु मंथनो का दौर जारी है। चर्चाओं की मानें तो धनबल और बाहुबल के प्रभाव से होने वाले चुनाव में भाजपा मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि वह किसी भी प्रभाव से इतर राजनीतिक सुचिता, स्वच्छता, पारदर्शिता और देश की सेवा करने वाले परिवार को तरजीह दी हैं। हालांकि अंदरखाने में चल रहे मंथनों से कौन सी तस्वीर उभर कर आती है यह चंद दिनों में दिखायी दे देगा। किन्तु अभी तक जो तस्वीर सामने आ रही है। उसमें सुशील दूबे का पलड़ा भारी दिखायी दे रहा है।