Home मन की बात भारत की बेटी सुषमा की सुषमा, सुष माँ- मंजू गुप्ता

भारत की बेटी सुषमा की सुषमा, सुष माँ- मंजू गुप्ता

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मंजु गुप्ता

भारत की ‘मदर इंडिया सुषमा स्वराज ‘ संविधान की धारा 370 हटने के शुभ दिन को देख के कश्मीर की आजादी का जश्न मना के हमेशा के लिए 6 अगस्त 2019 को पंचतंत्र में विलीन हो गयी।

14 फरवरी 1952 को हरियाणा में अंबाला के साधरण परिवार में बिटिया सुषमा जन्मी थी। आजाद ख्यालों की तरह अपना जीवन ताउम्र जीया। हरियाणा जैसे राज्य में उस जमाने में जहाँ लड़कियों को बाहर जाने से रोका जाता था। इसके विपरीत व्यापक सोच की मानसिकता वाले माता-पिता ने अपनी लाडली शेरनी को पूरी आजादी दे रखी थी। बिटिया के पाँव पालने में ही दिख गए थे।सरस्वती, दुर्गा, खूबसूरत लक्ष्मी का रूप लेकर आई थी।

अपने छात्र जीवन में प्रखर, ओजस्वी वक्ता के रूप में नाम कमाया। भाषा की पकड़ थी और राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। १९७० में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे तीन साल तक लगातार एस॰डी॰ कालेज छावनी की एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट चुनी गईं। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय’ चंडीगढ़ से लॉ की डिग्री हासिल की। पंजाब विश्वविद्यालय से भी उन्हें १९७३ में सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला था।

१९७३ में ही सुषमा स्वराज भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता का काम किया। १३ जुलाई १९७५ को उनका विवाह  स्वराज कौशल से हुआ। न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे। कौशल बाद में छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे। स्वराज दम्पत्ति की इकलौती सन्तान बांसुरी पुत्री है। जो वकील है। माँ की तरह बेटी भी सशक्त, सबल, स्वालंबी है। अपनी माँ की पर्याय रही, शक्ति बनी। बांसुरी ने अपनी माँ की अंतिम क्रिया विधि कर के समाज को सन्देश भी दे दिया। बेटे की तरह बेटी भी परिवार के सोलह संस्कार के साथ यह रीति भी कर सकती है। इक्कीसवीं सदी में लैंगिक भेदभाव की दीवारों को गिरा देना चाहिए।

प्रतिभाशाली सुषमा जी ने अपना कैरियर अपने दम पर
गढ़ा था। उनके कार्यों की दीपशिखा का आलोक समाज देश को प्रकाशित कर रहा है ।1977 में सबसे कम उम्र की मंत्री बनी। 1996 में बाजपयी सरकार में मंत्री बनी और 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी। 2014 से लेकर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जी के संग तालमेल से विदेश नीति को योजनाबद्ध बढ़ावा दिया। जिसकी साख आज देश, विश्व में दिखाई देती है जिसने सफलता के आयामों को छुआ। सुषमा जी ने अपनी पार्टी भाजपा को सशक्त, कर्मठ कार्यकर्ता बन पार्टी को शून्य से शिखर तक पहुँचाया। लाखों कार्यकर्ताओं की मार्गदर्शिका बनी।

लालकृष्ण आडवाणी उनके राजनैतिक गुरु बने। अनुशासन,  आदर्श मूल्यों को जीवन में अपनाके राजनीति से आत्मसात किया। वे ही सीतारमन जो आज वित्त मंत्री हैं। उनको राजनीति में लायी थी। उनका व्यवहारकुशल, तेजस्वी, ओजस्वी, योग्य, विश्वनीय, उदार, सहृदय व्यक्तित्व था। लोगों की समस्यायों से जुड़ के उनका समाधान करना उनका स्वभाव था। उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत सारे अविस्मरणीय काम किए थे। हम उनके कामों को नहीं भूला सकते हैं।

संसद में जीवंत प्रसारण की व्यवस्था करायी। पासपोर्ट प्रक्रिया का सरलीकरण करवाया। कुलभूषण जाधव के केस को इंटरनेशनल कोर्ट में पहुँचवाया। तेलंगाना राज्य बनवाने में बड़ी भूमिका निभायी। विदेशमंत्री रहते हुए 90 हजार भारतीयों की मदद की। डोकलाम विवाद को सुलझाया। सूडान में फंसे 150 भारतीयों को वापस भारत में बुलाया। पाकिस्तान में 6 साल से कैद भारतीय हामीद अंसारी की वापसी करवाई। दिव्यांग गीता की माँ बन उसे पाकिस्तान से भारत में बुलाया। उनके मिलनसार व्यक्तित्व ने संयुक्त राष्ट्र संघ को परिवार की तरह चलने की सलाह दी थी। उन्होंने न जाने कितने सारे काम किए हैं। जिनकी अनगिनत गिनती की सूची बन जाएगी।

सोशल मीडिया पर 2 लाख उनके अनुसरणकर्ता हैं। हर किसी को सन्देश का जवाब देती थीं औऱ आखिरी साँस तक सक्रिय रही। मधुर ओजस्वी आवाज आज देश, संसार को प्रेरणा दे के अलविदा हो गयी है। शोकाकुल राष्ट्र, प्रधानमंत्री मोदी जी,  गृहमंत्री अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, राष्ट्रपति संग सांसद के पक्ष, विपक्ष के नेताओं, मित्रों, परिचितों, विदेश से आए नेताओं ने, जनता ने अपने कदावर नेत्री को पुष्पांजलि दी। श्रद्धाजंलि अर्पित की व मेरी भी सुषमा बहन को श्रद्धांजलि।

डॉ मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुंबई

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