Home मन की बात स्विटजरलैण्ड : जहां दिखती है नैतिकता

स्विटजरलैण्ड : जहां दिखती है नैतिकता

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क्या आप को पता है दुनिया का सबसे खुबसूरत मुल्क कौन सा है ?…….स्विट्ज़रलैंड
क्या आपको पता है कि दुनिया मे प्रति वयक्ति आय सबसे ज्यादा किस देश के लोगों की है ?……स्विट्जरलैंड
क्या आप को जानकारी है कि दुनिया मे शादीशुदा जोड़े अपना पहला हनीमून कहा करने का ख्वाब देखते है ?…..स्विट्ज़रलैंड
आप को पता है कि दुनिया मे सबसे ज्यादा आत्म हत्या किस मुल्क के लोग करते है ?……स्विट्जरलैंड ! लगा ना झटका ? मुझे भी लगा था जब मुझे यह पता चला था ? दुनिया में सबसे ज्यादा खुशदिल,खुशमिजाज नागरीक स्विट्जरलैंड के होते है फिर सबसे ज्यादा आत्महत्या भी यही होती है ? यह जानकर मुझे सबसे ज्यादा झटका लगा था!जी हा यह बात सच है !
स्विट्ज़रलैण्ड लोक कथाओ सा सुन्दर है,हालाकि मै आज तक वहा नही गया हू लेकिन अखबारों,सोशल मिडिया,टूरिस्ट बुक,किताबों और वहा गये अपने मित्रों से मिलकर मैने यह जाना है!
शांती प्रिय स्विट्जरलैंड मे शांति का आलम यह है कि वहा की लोकल ट्रेनो मे भी Silent Zone होते है,वैसे हमेशा बकबक करने वाले हम भारतीय यह कभी नही समझ पाएंगे ?
यहा के लोगो मे कोई सामाजिक बंधन नही है,मन चाहे जहा उड़े,ना ही नैतिकता ना ही मर्यादा का कोई चाबुक,यहा की दुकानो मे शरीर नंगे घूमता है,क्या पुरूष क्या महिला ? कई बार तो आभास ही नही होता कि तन पर कपडा कहा है और क्यो है ? यहा कि महिलाओं के पास सुंदर दिमाग़ है,बुद्धि है,प्रतिभा है लेकिन हर जगह प्रदर्शन वो भी सिर्फ देह का ?
जब मै युवा था तो ऐसी ही कुछ बाते हमारे गोवा के बारे मे सुन रखा था लेकिन अब तक तीन बार गोवा घूम आया लेकिन मुझे कभी ऐसी कोई बात देखने-सुनने नही मिली हा यह दीगर बात है कि वहा के समाज मे थोडी बहुत स्वचछंदता जरूर है लेकिन निर्लज्जता नही है मगर स्विट्जरलैंड के बारे मे मै सही और ठोस कह रहा हू !वहा समाज मे स्वछंदता के नाम पर चहू ओर निर्लज्जता पसरी है,कोई रोकने-टोकने वाला नही है।
वहा के गिरजाघरों को लिखना पड रहा है …please come in Dress code शायद अब आप कुछ कुछ कल्पना कर पा रहे होंगे?पुरूषों को आकर्षित करती हर औरत जैसे लगता है खजुराहों की गुफा से निकल कर रास्ते पर खडी हो !
युरोप मे संयुक्त परिवार टूटे,परिवार टूटे,दांपत्य टूटा,और अब इंसान भी टूटता जा रहा है,बिल्कुल यही बात स्विट्जरलैंड पर भी लागू होती है,देखा जाए तो बहुत ज़्यादा ही लागू होती है।नई पीढ़ी शादी से कतरा रही है,लगभग सभी अकेलेपन से जूझ रहे हैं!बूढ़ा भी,जवान भी,अंधा भी,विकलांग भी…सब अकेले है।
स्विटजरलैण्ड शायद दुनिया का इकलौता देश है,जिसके गलियारों मे ग़रीबी, भुखमरी,बेकारी और बीमारी ने कभी झाँका भी नही होगा ?स्विस लोग नही जानते की पानी-बिजली की कमी क्या होती है ?सूखा-अकाल-भुखमरी-मंहगाई कैसी होती है ? यहा के बच्चो की पढ़ाई-लिखाई,लालन-पालन,दवा- दारु की चिंता माँ-बाप की नही है,सारा खर्च सरकार उठाती है।बच्चे पैदा करने के लिए सरकार उनको पैसा देती है,टैक्स मे छूट देती है।
कहते है ना कि जिंदगी में जब बहुत सारे रंग हो तो जिंदगी बदरंग हो जाती है,बहुत ज्यादा सुख भी उबाऊ हो जाते है, बिलकुल यही हाल यहा के नागरिकों का है।।हर वक्त प्रेम और मांसलता मे डूबे,भोग के अतिरेक मे धसे,सुख से उबे यहा के लोगों को मौत भी जिंदगी की तरह लुभाती है। हम भारतियों की तरह हताशा के पलों मे लड़ना और जिंदगी की चुनौतियों का सामना करते हुए जीना इन स्विस लोगों को नही आता है।
शायद इसीलिए दुनिया का पहला देश है…स्विट्जरलैंड,जहा युथेनेशिया (मर्सी किलिंग या इच्छा मृत्यु )बिना शर्तो के वैधानिक है,यानी की आप मरना चाहते है तो यहा आपसे कोई नही पूछेगा कि क्यो मरना चाहते है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि युथेनेशिया के हर गली चौराहे पर बाकायदा यहा क्लिनिक खुले हुए है,जहा कोर्ट का ऑर्डर दिखाकर आप दाख़िला ले सकते है।यहा आपको मरने के तरीक़ो के लिए बाकायदा कुछ कैटलोग दिखाये जाएंगे,मरने के लिए आप अपनी पसंद का मे मेनू चूज कर सकते है।
यहा आत्म हत्या का प्रतिशत दुनिया में सबसे ज्यादा है,शायद इसलिए कि जितनी सुंदरता,विलासिता और अमीरी यहा की फिजाओं मे बिखरी है उतनी ही उदासी, अवसाद,व्यर्थताबोध और अकेलापन भी यहा की वादियों मे घुली मिली है।
यहा के युवा खूब धुमते है,पत्नी नही इनकी गर्ल फ्रेंड होती है जिनको ये कपड़ो की तरह बदलते रहते है,युवा शादी नही करते,लिव इन रिलेशनशिप मे रहते है,बच्चे पैदा करते है जिन्हे सरकार संभालती हैं,बच्चो भी थोडे बडे हुए नही कि घर छोड देते है,जिस्म का जादू उतरते ही सायं सायं करता सुना घर काटने को दौडता है,आत्मा से दूर छिटकी देह और कच्चा बेकाबू मन,संसार और ईश्वर के सारे दरवाजे बंद,जिवन के प्रति न कोई जिम्मेदारी न सम्मान,न कोई उद्देश्य न कोई ख्वाब और ना ही जीवन संघर्ष का माधुर्य …. दरवाजे पर “कोई है” कि न कोई आहट?ऐसे मे आत्म हत्या उसे प्रेमिका की तरह लुभाती है!
दरअसल वयक्ति हो या राष्ट्र,जब तक जिंदगी का रिश्ता दर्द से नही जुड़ता, जिंदगी की समझ गहरी नही होती !……हम भारतीय जिंदगी के आखिरी पलों मे आध्यात्म की ओर मुड जाते हैं और स्विस लोग आत्म हत्या की ओर क्यो कि हर स्विस यह मानता है कि सुख का एक ही जरिया है और वह है उसका.. देह,शरीरं …सुख का स्रोत देह को समझने वाला वयक्ति जानवर जैसा होता है ?
युरोप और स्विट्जरलैंड को भागवत गीता जैसे पवित्र ग्रंथ की बहुत जरूरत है। गौतम बुद्ध,भगवान श्रीकृष्ण, स्वामी विवेकानंद,महावीर जैसे महान लोगो की शख्त ज़रूरत है,जो उन्हे जीवन का मर्म समझा सके,जो उन्हे जीवन का सौदर्य बोध देते हुए यह समझा सके की जीवन स्थूल से सूक्ष्म की ओर निरंतर बढती हुई एक यात्रा है।

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